।।मया पिरीत के होली।।
बैर कपट सब ईरसा छोड़
गोठियाबो मया के बोली।
हुडदंग करे के तिहार नोहय
मया पिरीत के होली।।
आनी बानी के रंग गुलाल
रंग बिरंगी पिचकारी।
नानहे लईका ल का कहिबे
सबो के हे तियारी।।
मांदर थाप म राहस नचईया
निकले हाबय गली गांव।
कोनो राधा कान्हा के रूप धरे
थिरकत हाबय सुग्घर पांव।।
बाजे नंगाडा के बोल धनाधन
चौक म सब जुरियाय।
बड नीक लागे होली गीत
फागुनवा रंग जमाय।।
लईका सियान सबो निकल गे
संगी साथी संग टोली मे।
गला मिल गुलाल लगावय
शोर परगे आज होली हे।।
अशोक साहू , भानसोज
बैर कपट सब ईरसा छोड़
गोठियाबो मया के बोली।
हुडदंग करे के तिहार नोहय
मया पिरीत के होली।।
आनी बानी के रंग गुलाल
रंग बिरंगी पिचकारी।
नानहे लईका ल का कहिबे
सबो के हे तियारी।।
मांदर थाप म राहस नचईया
निकले हाबय गली गांव।
कोनो राधा कान्हा के रूप धरे
थिरकत हाबय सुग्घर पांव।।
बाजे नंगाडा के बोल धनाधन
चौक म सब जुरियाय।
बड नीक लागे होली गीत
फागुनवा रंग जमाय।।
लईका सियान सबो निकल गे
संगी साथी संग टोली मे।
गला मिल गुलाल लगावय
शोर परगे आज होली हे।।
अशोक साहू , भानसोज
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