शुक्रवार, 18 मार्च 2016

पागा कलगी -6 //आचार्य तोषण

"होरी"
होरी आए होरी आए
तन मन घलो हरसाए।
होरी तिहार बड़ अलबेला
जम्मो जगा सुख सकलाए।।
प्रेम भाव ले गुझिया खाए
सबला अबीर गुलाल लगाए।
नाचय गावय सब मस्ती मा,
छै छै जोड़ी नंगारा बजाए।।
घर-घर देखव घूमत हावय
गावत फाग बजावत टोली।
लगाय गुलाल कहे प्रेम से,
बुरा झन मानौ आज हे होली।।
होरी मा धंधाय कृष्ण हा
रंगन के बउछार परत हे।
धरे भर-भर पिचका हाथ
एक दुसर के पाछु दउड़त हे।
दुनिया देख कतिक गजब
रंग ले भरे हावय पिचकारी।
हरिहर पिंयर कंहूकर नीला
जइसे दिखय सुघर फुलवारी।।
भुइंय्या मा फाग बरसगे
भंउरा के गुनगान हे होरी।
ढोल नंगारा के सरगम जागय,
सरसों के मुसकान हे होरी।।
जात पात सबला भुलावय
होरी देवय सबला सममान।
भाईचारा के भाव जगावय
देवय जिनगी के पहिचान।।
-आचार्य तोषण

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