सोमवार, 21 मार्च 2016

पागा कलगी -6//सुनील साहू"निर्मोही"

"मया के सतरंगिया होली"
रंग मया के लगा ले संगी,
झन छुटय मया के बंधना।
सात रंग ल बनाके दुलरवा,
तै रंग जा पिरित के रंग मा।
लाल गुलाबी हरा रंग नीला,
जिनगी हरियर हरियर लागे।
सात रंग ह छठा बगराये,
होली सब के मन ल भागे।
फ़ाग गीत अउ नगारा बाजे,
सुनके हिरदय ल बड़ निक लागे।
रंग उड़ावत गले मिल जाथे,
बैरी दुश्मनी सबे भूल जाथे।
पिचकारी अउ मुख़ौटा लगाके,
झूमत हांसत होरी खेलय।
घोर के रंग बाल्टी गंज म,
संगी साथी ल धर के चिभोरे।
भारत भुइयां म रंग बगरे हे,
जइसन,इंद्र धनुष जनगण म।
होली मनके के मिलन बढ़ाते,
अउ मया जगाथे तनमन म।
कका भईया अउ घर के सियान,
हाथ जोड़ मैं रंग लगावव।
दे आशिस सुखी रखे भगवान,
अईसन सुघ्घर होली मनावव।
सुनील साहू"निर्मोही"बिलासपुर
ग्राम- सेलर
जिला- बिलासपुर
मो न.-8085470039

रविवार, 20 मार्च 2016

पागा कलगी -6 बर//जयवीर रात्रे बेनीपलिहा

"मया पिरीत सुग्घर के होरी"
होरी हे होरी हे होरी,
जम्मो कोती हे होरी,
गोरी खेलत हे होरी,
संगी खेलत हे होरी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
दया मया के सुग्घर होरी,
संगी जम्मो नाचत हे होरी,
जम्मो कोती माते हे होरी,
रंग रंगोली म छाये हे होरी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
संगी जहुरिया मन मारे पिचकारी,
होली खेलत हन जम्मो संगवारी,
डंडा नाचत हन घर अंगना दुआरी,
होरी के मजा हर आवत हे बड़ भारी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
लईका मन खेलत हे होरी
जम्मो झन सनायें हे रंगोली,
चिरहा फटहा कुरता पहिरे,
जम्मो संगी मचावत हे होरी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
मन म सबके मया। पिरीत हे,
बैरी दुश्मन साथ खेलत हे होरी,
गीत गावत हे सबो आनंद म माथे,
संगी सहेली गोरी जम्मो खेले होरी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
संगी जम्मो खेलत हे होरी।।।
जयवीर रात्रे बेनीपलिहा
थाना- डभरा,जांजगीर चाम्पा,
(छत्तीसगढ़)
Mo. No. 8349323652

पागा कलगी -6 बर//नवीन कुमार तिवारी

लाइकोरी हो या हो कखरो सुुवारिन,
रंगत में छाये केसरिया रंग ,
परसा के फूल हा मचाये हवे बहार ,
संगे झूमत अमुवा के मऊ रा ,
कई से लजावत हमर संगनिया ,
सब्बो डाहर हवे रंगेच्च के बौ छार 
फागुन तिहार आगे संगी ,
रास रंग के बहार आगे संगी ,
नवा नवा कलेवा ले ,
मद मस्त मन के तिहार आगे संगी ,
जहां लुका बे तेन्ह ,
पहुंच जाहि रंग है 
तन बदन हो जाहि ,
रंग ले सराबोर ,
बस मुख दिक्ला जा संगी ,

नवीन कुमार तिवारी

पागा कलगी -6//गरिमा गजेन्द्र

"ये बार होली चल न ऐसने खेलबो"
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ये रंग मे एकन रंग खुशी के ले आवव
सबे के जिनगी म रंग खुशी के घोलव
ये बार होली चल न ऐसने खेलबो
गलती ले कोनो ल दुःख पीरा देय होबो
अपन हर गलती के माफी मांग लेबे हम
नाता मा रंग ऐसन घोलन
सब नाता ल एके धागा म बांध लेबो हम
ये बार होली चल न ऐसने खेलबो
कोन्हो छुट गे होही वहु ल संग म मिला लेबो
कोन्हो रूठ गे होही वहू ल मना लेबो
सब रंग ल अपन रंग म मिला लेबो
ये बार होली चल न ऐसने खेलबो
हर छन बितात हे जे पल ओला अपन
मुट्ठी मा बांध लेबो
नई भुलन ये होली ल
ये पल म जी भर के जी लेबो
ये बार होली चल न ऐसने खेलबो
आतंक के प्रहार ले कांपत हे भुंइया डोली
मया के रंग गुलाल ले चल न खेलबो होली
कम होगे हे धरम करम
कम होवत हे मानवता
अब धरती के कोरा म पलत हे पापी
गवा गे हे हासी ठीठोली
वो ल सहेजबो
ये बार होली चल न ऐसने खेलबो
बिश्वास के भरबो झोली
मिलजुल के खेलबो होली
झन होवय घर कोन्हो बीरान
होवय झन कोन्हो बहिनी के अपमान
झन होवय काकरो मांग सुना
होवय झन कोन्हो लइका अनाथ
गांव गांव होये रंग रोली
ये बार होली चल न ऐसने खेलबो
………………………………………………
रचना - गरिमा गजेन्द्र
सरोना जिला - रायपुर

पागा कलगी -6//सुखन जोगी

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कहत जोगीरा सा रा रा रा....रा...
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ऋतु आइस ऋतुराज आइस
संग फगुनवा होरी लाइस
दुनो परकिति संग होरी रचाई
इक सेमर दुसर टेसु अरग लगाई
गमके लगे फगुनवा जउने रंग बगराये
बारह मासन इक मास होरी मनाये
एक होरी बिरज म दुसर होरी ३६गढ़
खेले कनहइया सब रंग लगाये चढ़ बढ़
तब की होरी पक्का अरग लगाइ
अब की होरी बस तन गमकाइ
अमुना घाट कनहइया खेले
गोपियन संग अबीर गुलाल ले ले
देत हाना -
सब के सजनिया रिंगी चिंगी मोर
सजनिया गोरी राधा रे ..
तन मोर सांवर मन करवं काहे आधा रे...
कहत जोगीरा सारा रा रा रा....
अब के होरी कर ले जतन
अबीर गुलाल ले ले मलन
झन करहू भाई बात अचरज
कर लव ग पानी के बचत
चाही कउनो भेद होय चाही मनमेट
लगावव रंग गर मिल हिरदे टेक
का के भरम का के भेद
ये होरी म सब देवव मेट
कहत जोगी आज मया भाखा ले
सब संगवारी ल होरी मुबारक हे...
हाना- सब के होली भंग मतंगी मोर होली सादा रे
कहे जोगी अबीर गुलाल लेवव मन भर जादा रे....
जोगीरा सा रा रा रा...रा.....
………………………………………………
रचना - सुखन जोगी
ग्राम - डोड़की, बिल्हा (छ. ग.)

पागा कलगी -6//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

"सूरता नान्हेपन के होरी के"
मोला सूरता आथे संगवारी,
नान्हेपन के रंग गुलाल,अउ संगी के गुरतूर गारी।
मोला सूरता आथे संगवारी,
नान्हेपन के होरी,
मोला सूरता आथे---
सूरता आथे मोला गांव के गली के,
खांध जोरे हमर टोली चलई।
मीतानी रंग लगायेला बल्ला अउ बल्ली के,
हांका पार-पार हमजोली बलई।
मोला सूरता आथे संगवारी,
नान्हेपन के निच्छल परेम अउ मया के दुवारी--।
मोला सूरता आथे---
सूरता आथे मोला कुआं के पार,
चार हांथ म पानी लउहा बाल्टी ल डार।
छलकत बाल्टी के पानी ल उतार,
अऊंहा-झऊंहा पुड़िया के रंग ल मतार।
मोला सूरता आथे संगवारी,
बचपन के उज्जर रंग अउ बांस के पिचकारी--।
मोला सूरता आथे---
सूरता आथे मोला गुरूजी के बोली,
दूनी के पाहड़ा अउ एके ठन खोली।
चामटी के भाखा अउ मांड़ी तरी गोली,
मनखे बनाये बर फेर आवथे होली।
मोला सूरता आथे संगवारी,
बचपन के सादामन अउ सपना के रखवारी--।
मोला सूरता आथे---
मोला सूरता आथे संगवारी,
नान्हेपन के होरी मोला सूरता आथे-----
रचना :---सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
शिक्षक पंचायत
गांव - गोरखपुर पोस्ट- पिपरिया
कवर्धा,जिला-कबीरधाम(छग)
मो, 9685216602

पागा कलगी -6//रामेश्वर शांडिल्य

//जूरमिल के खेलत हे होली//
लइका लइका के ये हर टोली
जूरमिल के खेलत हे होली।
हरियर पिउरा लाल चेहरा वाला।
रंग म रंगे हावय टेहराॅ वाला।
रंग गुलाल म पोताएं हे पूरा।
कोन हा टूरी कोन आये टूरा।
हांसत कूदत करत हे ठिठोली ।
लइका लइका खेलत हे होली।
लूका लूका के मारे पिचकारी
रंग गुलाल बर होवे मारामारी।
एक दुसर म जब रंग लगाथे
लइका के खुशी देखत भाथे।
नान नान लइका के मिठ बोली
मिलजूल के खेलत हावे होली।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा