रविवार, 20 मार्च 2016

पागा कलगी -6//सुखन जोगी

……………………………………………
कहत जोगीरा सा रा रा रा....रा...
…………………………………………
ऋतु आइस ऋतुराज आइस
संग फगुनवा होरी लाइस
दुनो परकिति संग होरी रचाई
इक सेमर दुसर टेसु अरग लगाई
गमके लगे फगुनवा जउने रंग बगराये
बारह मासन इक मास होरी मनाये
एक होरी बिरज म दुसर होरी ३६गढ़
खेले कनहइया सब रंग लगाये चढ़ बढ़
तब की होरी पक्का अरग लगाइ
अब की होरी बस तन गमकाइ
अमुना घाट कनहइया खेले
गोपियन संग अबीर गुलाल ले ले
देत हाना -
सब के सजनिया रिंगी चिंगी मोर
सजनिया गोरी राधा रे ..
तन मोर सांवर मन करवं काहे आधा रे...
कहत जोगीरा सारा रा रा रा....
अब के होरी कर ले जतन
अबीर गुलाल ले ले मलन
झन करहू भाई बात अचरज
कर लव ग पानी के बचत
चाही कउनो भेद होय चाही मनमेट
लगावव रंग गर मिल हिरदे टेक
का के भरम का के भेद
ये होरी म सब देवव मेट
कहत जोगी आज मया भाखा ले
सब संगवारी ल होरी मुबारक हे...
हाना- सब के होली भंग मतंगी मोर होली सादा रे
कहे जोगी अबीर गुलाल लेवव मन भर जादा रे....
जोगीरा सा रा रा रा...रा.....
………………………………………………
रचना - सुखन जोगी
ग्राम - डोड़की, बिल्हा (छ. ग.)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें