रविवार, 20 मार्च 2016

पागा कलगी -6 बर//जयवीर रात्रे बेनीपलिहा

"मया पिरीत सुग्घर के होरी"
होरी हे होरी हे होरी,
जम्मो कोती हे होरी,
गोरी खेलत हे होरी,
संगी खेलत हे होरी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
दया मया के सुग्घर होरी,
संगी जम्मो नाचत हे होरी,
जम्मो कोती माते हे होरी,
रंग रंगोली म छाये हे होरी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
संगी जहुरिया मन मारे पिचकारी,
होली खेलत हन जम्मो संगवारी,
डंडा नाचत हन घर अंगना दुआरी,
होरी के मजा हर आवत हे बड़ भारी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
लईका मन खेलत हे होरी
जम्मो झन सनायें हे रंगोली,
चिरहा फटहा कुरता पहिरे,
जम्मो संगी मचावत हे होरी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
मन म सबके मया। पिरीत हे,
बैरी दुश्मन साथ खेलत हे होरी,
गीत गावत हे सबो आनंद म माथे,
संगी सहेली गोरी जम्मो खेले होरी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
संगी जम्मो खेलत हे होरी।।।
जयवीर रात्रे बेनीपलिहा
थाना- डभरा,जांजगीर चाम्पा,
(छत्तीसगढ़)
Mo. No. 8349323652

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