लाइकोरी हो या हो कखरो सुुवारिन,
रंगत में छाये केसरिया रंग ,
परसा के फूल हा मचाये हवे बहार ,
संगे झूमत अमुवा के मऊ रा ,
कई से लजावत हमर संगनिया ,
सब्बो डाहर हवे रंगेच्च के बौ छार
फागुन तिहार आगे संगी ,
रास रंग के बहार आगे संगी ,
नवा नवा कलेवा ले ,
मद मस्त मन के तिहार आगे संगी ,
जहां लुका बे तेन्ह ,
पहुंच जाहि रंग है
तन बदन हो जाहि ,
रंग ले सराबोर ,
बस मुख दिक्ला जा संगी ,
नवीन कुमार तिवारी
रंगत में छाये केसरिया रंग ,
परसा के फूल हा मचाये हवे बहार ,
संगे झूमत अमुवा के मऊ रा ,
कई से लजावत हमर संगनिया ,
सब्बो डाहर हवे रंगेच्च के बौ छार
फागुन तिहार आगे संगी ,
रास रंग के बहार आगे संगी ,
नवा नवा कलेवा ले ,
मद मस्त मन के तिहार आगे संगी ,
जहां लुका बे तेन्ह ,
पहुंच जाहि रंग है
तन बदन हो जाहि ,
रंग ले सराबोर ,
बस मुख दिक्ला जा संगी ,
नवीन कुमार तिवारी
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