गुरुवार, 14 जुलाई 2016

पागा कलगी-13 /37/ललित साहू "जख्मी"

धनाक्षरी विषय
"माटी के मितान"
सऊंहत अवतारे
ईहां के भगवान तैं
भुईयां सिरजईया
माटी के मितान तैं
मेहनत करईया
जऊंहर किसान तैं
अन्न के उपजईया
माटी के मितान तैं
दाई के तैं दुलरवा
तप के पहिचान तैं
बासी पेंच खवईया
माटी के मितान तैं
दुनिया के पोसईया
परानी मे महान तैं
दुख पीरा सहईया
माटी के मितान तैं
ललित साहू "जख्मी"
ग्राम- छुरा
जिला- गरियाबंद (छ.ग.)
9993841525

पागा कलगी-13/21/पी0पी0 अंचल

माटी के मितान
एकर सही हकदार हे भुइंया के किसान
जेन हां लगादिस अपन पूरा दिलो जान
तभे एकर नाम धराईस माती के मितान
मुड़ म पागा खांध म नांगर
हासत कूदत एक मन आगर
माटी के सिंगार के कारन
भईया किसान पेरथे जांगर
सेवा करत संझा बिहान।
इही ल तो कथय भईया माटी के मितान
रापा कुदारी गागर तुतारी
बसूला बिंधना रमदा आरी
करके राखे जमो तियारी
किसिम किसिम के फसल ओन्हारी
अगोरा म पानी के बईठे भाई
टकटकी लगाए किसान।
इही ल कहिथे भइया माती के मितान।।
माटी के जबड़ हितवा
बन गए तैय जनम के मितवा
माती तोरे ओढ़ना बिछौना
माटी के बने हावय खिलौना
माती के भाग सहरिया
माटी म सोना उपजइया
पाए तैं एतका कन कहा ले गियान।
इही ल तो कहिथे संगी माटी के मितान।
तहीं खाके पेज बासी
तोला आए दिन भर हासी
आठो अंग म सेवा बसे हे
पूजा खातिर किसान सजे हे
जेकर पसीना माटी पाइस
पाके अपन भाग सहराईस
वापिस आहि इही माटी में
आसमान के उड़त बिमान।
इही ल तो कहिथें संगी माटी के मितान।
माटी के मितान ,माटी के मितान,
माटी के मितान,.................
रचना-
पी0पी0 अंचल
हरदी बाज़ार कोरबा (छ0ग0)
९७५२५३७८९९

पागा कलगी-13/36/नोख सिंह चंद्राकर "नुकीला"

//माटी के मितान गा//
तता तता बईला रेंगे
पीछू पीछू किसान गा
ये नोहे अलवा जलवा
हरे माटी के मितान गा
घाम पानी ल ये ह सहीथे
अउ सहीथे जाड़ ल
चिखला माटी ल चुपरे भईया
भोंभरा जरे पाँव गा
ये नोहे अलवा जलवा, हरे माटी के........
ये नई खावे हलवा पूड़ी
ये नई पीये कोला पेप्सी
बोरे बासी ल खाय भईया
पसिया पीये तान गा
ये नोहे अलवा जलवा, हरे माटी के.......
नई ये एखर महल अटारी
नई ये एखर पलंग पियरी
एखर टुटहा खुन्दरा भईया
झोरका खटिया बिछाय गा
ये नोहे अलवा जलवा, हरे माटी के.......
नांगर जोतथे हरिया धरथे
खेत म ये ह बिजहा बोथे
पेट ल सबके भरईया भईया
अपन रहिथे भूखाय गा
ये नोहे अलवा जलवा, हरे माटी के......
एखर धान के मोल नई हे
एखर पियाज के तोल नई हे
करजा म बोजागे भईया
माटी म मिलगे मितान गा
ये नोहे अलवा जलवा, हरे माटी के....
माटी एखर भाई बहिनी
माटी एखर दाई भौजी
माटी एखर ददा भईया
माटी एखर परान गा
ये नोहे अलवा जलवा, हरे माटी के......
ये ह देस के डाड़ी आय
ये ह देस के धोखर आय
ये ह देस के चक्का भईया
इहि ह गाड़ीवान गा
ये नोहे अलवा जलवा, हरे माटी के......
देस ह आज कहाँ बढ़गे
देस ह आज मंगल म चढ़गे
ये निसयनी के बनईया भईया
आज घलो पछवाय गा
ये नोहे अलवा जलवा, हरे माटी के....
ये ह हमर देस के नायक
ये ह हमर देस के तारक
ये ह अन के देवईया भईया
येला "नुकीला" के परनाम गा
ये नोहे अलवा जलवा, हरे माटी के.....
@नोख सिंह चंद्राकर "नुकीला"
ग्राम-लोहरसी,पोस्ट-तर्रा,
तह.-पाटन,जिला-दुर्ग(छ.ग.)
पिन-491111.

पागा कलगी-13/35/लोकेन्द्र"आलोक"

शीर्षक - माटी के मितान
___________________
भुईहा के छाती चीर
धान मय जगाये हव
भुईहा ला हरियाये बर
पसीना मय बोहाये हव
दुनिया भर के मनखे मन
कहिथे मोला किसान
हव मही हर हरव
ये माटी के मितान
झिमिर झिमिर बरसत पानी मा
नांगर मय चलाये हव
बइल्ला के संगे संग महू हा
जांगर चलत ले कमाये हव
माटी ले भाग अपन लिखथव
तहु हर येला ले जान
हव मही हर हरव
ये माटी के मितान
धान मिंजे बर दउरी फांदेव
बइल्ला ला तो तो तो चिल्लाये हव
धान जगा दुनिया के
भूख मय मिटाये हव
थके हारे जब मेड़ माँ बईठथव
तब सोन कस दिखथे धान
हव मही हर हरव
ये माटी के मितान
...............................................
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कवि - लोकेन्द्र"आलोक"
ग्राम - अरमरीकला
तहसील - गुरुर
जिला - बालोद
मोबाईल नंबर - 9522663949
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टिप्पणी

पागा कलगी-13/34/ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

"माटी के मितान"
~~~~~~~~~
ये भुईया म लाना हे नवा बिहान।
हम सब ल बनना हे "माटी के मितान"
1-इहि माटी म सबो जनम लेन
खेलेंन,कुदेन्, बाढ़ेँन,लिखेन,पढ़ेंन।
कोनो डाकटर,मास्टर,कोनो हे मजदूर किसान
कोनो चोर उचक्का,वकील कोनो हे पुलिस जवान।
ऊच नींच के खाई पाटव हम सब भुईया के लाल।
हम सब ल.......
2-देखत हव मितानी निभावत किसान हे
मोर देश के मजदूर मन महान हे।
"सादर सत् सत् नमन वो शहादत ल"
भुईया के रक्षा करे बर बेटा गवात परान हे।
इही मन भुईया के सिरजईया देवव ग सम्मान।
हम सब ल......
3-काबर आत्महत्या करत किसान हे।
मजदूर के काबर नइये मकान हे।
भाजी पाला कस मुड़ी कटात जवान हे
माटी के संग माटी के रंग, माटी बर जिनगी दान हे।
सब कुछ जान के सरकार फेर काबर हे अनजान।
हम सब ल.......
4-हम सब ल अपन फरज निभाना हे।
'ये भुईया ल सरग बनाना हे'।
हम सब ल हाथ में हाथ देना हे
कोनो झन छूटय संगी संगे संग चलना हे।
अपन अपन जगह"ज्ञानु" सब हावय ग महान।
हम सब ल ......
जय जोहार
ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी कवर्धा 9993240143

पागा कलगी-13/33/ललित वर्मा

सिरसक - माटी के मितान
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जांगर पेरईया तैहां माटी के मितान जी
लहरिया किसान जी नंगरिहा किसान जी
सुत उठ के बडे बिहनिया ले खेत कमायबर जाथस जी
डबरा-खोचका-डिपरा-परिया ल एक बरोबर बनाथस जी
पथरा ले पानी ओगराथस-२
मिहनत तोर पहिचान जी
लहरिया किसान जी नंगरिहा किसान जी
डोरसा मटासी कन्हार भर्री भांठा के तै सुजान जी
कामा कब धन बरसा होही तोला रहिथे गियान जी
धरती ले सोना उपजाथस-२
भुंईया के भगवान जी
लहरिया किसान जी नंगरिहा किसान जी
माटी म जनमे माटी म बाढे माटी हरे तोर दुनिया जी
माटी-माटी-माटी जिनगी तैं माटी के गुनिया जी
माटी म तैं सपना सिरजाथस-२
सिरजन तोर निसान जी
लहरिया किसान जी नंगरिहा किसान जी
मुड म पागा कमर म गमछा तन म धोती कुरता जी
पांव म भंदई हांथ म बरछा कांध कुदारी-रांपा जी
गार पछीना अन उपजाथस-२
करम हे तोर महान जी
लहरिया किसान जी नंगरिहा किसान जी
जांगर पेरईया तैंहा माटी के मितान जी
लहरिया किसान जी नंगरिहा किसान जी
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रचना - ललित वर्मा ,
छुरा जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़ी बचाव उदिम
महतारी भाखा म
पढ़बो लिखबो बोलबो

बुधवार, 13 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/32/एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 13 बर रचना
विषय शिर्षक— 'माटी के मितान'
बीता भर पेट खातिर विधाता,
गढ़ दिस तोला किसान।
माटी मिहनत तोर संवागा,
तय भुइंया के भगवान।
चल चल संगी,
माटी के मितान,
धरे तुतारी कतको हरिया ल,
अइसने रेंगत लांघ के,
बिझहा धान धरके मुठा म,
नांगर म बइला ल फांद के,
सवनाही म धारो धार,
चल जीनगी ल सिरजान।
चल चल संगी,
माटी के मितान,
हरियर हरियर खेती खार तोर,
हरियर हे जीनगानी रे,
धरती माता के दुलरवा झन,
होय एखर हिनमानी रे,
तोर जांगर के कमइ म,
होथे सोनहा बिहान,
चल चल संगी,
माटी के मितान,
गीताकार
एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'
औंरी, भिलाई—3, जिला—दुरूग
मो. 7828953811