गुरुवार, 14 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/34/ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

"माटी के मितान"
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ये भुईया म लाना हे नवा बिहान।
हम सब ल बनना हे "माटी के मितान"
1-इहि माटी म सबो जनम लेन
खेलेंन,कुदेन्, बाढ़ेँन,लिखेन,पढ़ेंन।
कोनो डाकटर,मास्टर,कोनो हे मजदूर किसान
कोनो चोर उचक्का,वकील कोनो हे पुलिस जवान।
ऊच नींच के खाई पाटव हम सब भुईया के लाल।
हम सब ल.......
2-देखत हव मितानी निभावत किसान हे
मोर देश के मजदूर मन महान हे।
"सादर सत् सत् नमन वो शहादत ल"
भुईया के रक्षा करे बर बेटा गवात परान हे।
इही मन भुईया के सिरजईया देवव ग सम्मान।
हम सब ल......
3-काबर आत्महत्या करत किसान हे।
मजदूर के काबर नइये मकान हे।
भाजी पाला कस मुड़ी कटात जवान हे
माटी के संग माटी के रंग, माटी बर जिनगी दान हे।
सब कुछ जान के सरकार फेर काबर हे अनजान।
हम सब ल.......
4-हम सब ल अपन फरज निभाना हे।
'ये भुईया ल सरग बनाना हे'।
हम सब ल हाथ में हाथ देना हे
कोनो झन छूटय संगी संगे संग चलना हे।
अपन अपन जगह"ज्ञानु" सब हावय ग महान।
हम सब ल ......
जय जोहार
ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी कवर्धा 9993240143

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