गुरुवार, 14 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/33/ललित वर्मा

सिरसक - माटी के मितान
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जांगर पेरईया तैहां माटी के मितान जी
लहरिया किसान जी नंगरिहा किसान जी
सुत उठ के बडे बिहनिया ले खेत कमायबर जाथस जी
डबरा-खोचका-डिपरा-परिया ल एक बरोबर बनाथस जी
पथरा ले पानी ओगराथस-२
मिहनत तोर पहिचान जी
लहरिया किसान जी नंगरिहा किसान जी
डोरसा मटासी कन्हार भर्री भांठा के तै सुजान जी
कामा कब धन बरसा होही तोला रहिथे गियान जी
धरती ले सोना उपजाथस-२
भुंईया के भगवान जी
लहरिया किसान जी नंगरिहा किसान जी
माटी म जनमे माटी म बाढे माटी हरे तोर दुनिया जी
माटी-माटी-माटी जिनगी तैं माटी के गुनिया जी
माटी म तैं सपना सिरजाथस-२
सिरजन तोर निसान जी
लहरिया किसान जी नंगरिहा किसान जी
मुड म पागा कमर म गमछा तन म धोती कुरता जी
पांव म भंदई हांथ म बरछा कांध कुदारी-रांपा जी
गार पछीना अन उपजाथस-२
करम हे तोर महान जी
लहरिया किसान जी नंगरिहा किसान जी
जांगर पेरईया तैंहा माटी के मितान जी
लहरिया किसान जी नंगरिहा किसान जी
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रचना - ललित वर्मा ,
छुरा जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़ी बचाव उदिम
महतारी भाखा म
पढ़बो लिखबो बोलबो

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