शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

पागा कलगी-14/14/ जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

नंदागे ढेंकी
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भुकुर - भुकुर बाजे ढेंकी।
भिड़े राहय सास-बहू अउ बेटी।
उप्पर धरे बर राहय हवन डोर।
तरी म राहय दू ठन छोर।
एक कोती लकर-लकर हाथ चले,
त एक कोती सरलग चले गोड़।
दिखे मेहनत दाई-महतारी के।
जघा राहय कहनी किस्सा चारी के।
सास के बहू संग बन जाय,
भउजी के बने ननन्द संग।
जब संकलाय ढेंकी तीर,
मया बाढ़े संग संग।
कुटे कोदो-कुटकी चांउर-दार,
हरदी-मिर्चा धनिया-मेथी।
भुकुर-भुकुुर बाजे ढेंकी।
भिड़े राहय सास-बहू अउ बेटी।
धान के फोकला ओदर गे,
पड़े ले ढेंकी के मार ।
फुंने निमारे अउ अलहोरे,
सिधोय चांउर दार।
पारा-परोसी घलो आय,
धान कोदो धरके।
सिधोके रॉधे दार-भात,
अउ तीन परोसा झड़के।
मिठाय गईंज रांधे गढ़े ह,
मिन्झरे राहय मेहनत अउ नेकी।
भुकुर - भुकुर बाजे ढेंकी ।
भिड़े राहय सास-बहू अउ बेटी।
फेर अब;न जांता के घर-घर सुनाय,
न ढेंकी के ठक-ठक।
सिध्धो बुता सब ला सुहाय,
मूसर-बाहना ढेंकी लगे फट फट।
नवा जुग के पांव म दबगे ढेंकी।
चूल्हा के आगी म खपगे ढेंकी।
किस्सा कहनी म सजगे ढेंकी।
फोटु बन ऐती-ओती चिपकगे ढेंकी।
पुरखा ल कूट कूट खवईस,
अब धनकुट्टी मारत हे सेखी।
भुकुर-भुकुर बाजे ढेंकी।
भिड़े राहय सास-बहू अउ बेटी।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी-14/12/नोख सिंह चंद्राकर "नुकीला"

"कुंडलियां" 
((१))
सात फीट के गोला ल, अईसन तैं ह छोल।
पिछू डहर पातर रहे, आघू डहर ह मोठ।।
आघू डहर ह मोठ, ओखर एक ठन दाँत गा ।
ले बर ओखर काम,त पिछू ल मार लात गा।।
कहत "नुकीला" राम, खवाहूँ भईया भात ।
झटकुन ते हा सोच, काय होथे फीट सात।।
((२))
ढेंकी ह नंदागे गा, आगे हबे मसीन ।
घर म नई कूटत हबे,सब झन जावत मील।।
सब झन जावत मील, लोगन येला भुलागे।
छत्तीसगढ़ी यंत्र, अपने राज म लुकागे।।
कहत "नुकीला" राम, नवा जमाना ह आगे।
मनखे करत बिकास, अउ ढेंकी ह नंदागे।।
((३))
धान कूटय गा ढेंकी,होवत बड़े बिहान ।
दाई ह खूंदन दाबे, फूफू डारय धान ।।
फूफू डारय धान,मार खमोस खमोस के।
धान ह गजब छराय, मार दमोर दमोर के।।
कहत "नुकीला" राम, ढेंकी के गावव गान।
दाई रांधे भात, ढेंकी म कूट के धान।।
@नोख सिंह चंद्राकर "नुकीला"
गाँव- लोहरसी, पो.- तर्रा,
तह.-पाटन,जिला-दुरुग(छ.ग.)
पिन-४९११११

पागा कलगी-14/11/हेमलाल साहू

@ढेकी@
कूटय सुतउठ धान ला, करै जाँगरे मा काम ला।
भुकरुस भुकरुस ले बजै, सुन ले ढेकी तान ला।।

धन कुट्टी मशीन रहय, ढेकी पुरखा के हमर।
कतको कूटय धान ला, रहै जबर जाँगर उकर ।।

एकझन कूटय धान ला, एक झन खोवय घान।
जिनगी हा सुघ्घर रहै, कसरत करय बिहान।।

पइसा न कौउड़ी लगय, रखै समय के मांग ला।
घर घर मा ढेकी रखय, चाउर बढ़ाय स्वाद ला।।

लगे रहय बहना, थरा, डाड़ी, मुसरी, बैसकी।
धुरा रखै टेकाय बर, नई निकलय गा कनकी।।

आज नदागे देख ले, सुरता बनगे जान ले।
धान कुटे मशीन हवे, दूसर घर के मान ले।।

ढेकी के सुरता रहै, पुरखा के चिन्हा हमर।
बनके कबिता मा रहै, जगत संग मा अमर।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो.-9977831273

पागा कलगी-14/10/मूलचंद साहू

"धान कुटेल जाबोन"
चलो बहिनी चलो दीदी, धान कुटेल जाबोन।
ढेकी बाहना मुसर, सबला करदे ते तैयार,
कुकरा बासत धान कुटबो, बडे बिहनिया रहीबे तैयार।
चलो बहिन चलो......
खेती किसानी के दिन आगे,चाऊर दार ल करदे तैयार।
कोदो कुटकी घलो कुटबो,बैला बर दाना करदे तैयार।।
चलो बहिनी चलो......
नागर जोते बर नगरिहा जाहि,बासी लेगेबर मे तैयार।
टोकान कोड़े बर तेहा जाबे,बासी खाके होजा तैयार।।
चलो बहिनी चलो.....
खेत खार हरियर होगे,आगे अब हरेली तिहार।
गाय बैला बर लोदी अऊ, नागर देवता चिला रोटी तैयार।।
चलो बहिनी चलो दीदी ,धान कुटेल जाबोन।
मूलचंद साहू
गाँव चंदनबिरही,गुण्डरदेही
जिला बालोद छ.ग.
९६१२८९५६५३

पागा कलगी-14/9/रामेश्वर शाडिल्य

ढेकी बाजे
भकडदम भकड़ दम दम ढेकी बजे।
पयरि चुरी के संग मा डगसी हा नाचे।

नवा बहुरिया धान कूटे झूल झूल के।
आगी मागे पारा म बूल बूल के।
डोकरी दाई हाथ ल काबर् खाँचे।
सुपा बोले त बोले चलनी का बोले।
ननद गोठ करे मन के राज खोले।
ननद भोजाई खूल खूल खूल हासे।
चाउर निमारे हाथ गोड तान के।
बासी खाथे नूनं मिरचा सान के।
चारी चुगली करत नई लागे लाजे।
धन कुट्टी के आये ले ढेकी नदागे।
माई लोगन के मया पिरीत गवागे।
खरर खरर सास हर खासे।
पयरि चूरी के संग मा डगसी हा नाचे।
भकड़दम भकड़ दम दम ढेकी बजे।
रामेश्वर शाडिल्य
हरदी बाजार कोरबा

गुरुवार, 21 जुलाई 2016

पागा कलगी-14 /8/दिलीप कुमार वर्मा

चला-चला बहिनी धाने कूटे जइबो ,
चला-चला बहिनी धाने कूटे जइबो।
कूटि-कूटि चाऊर बनई देबो न, 
कूटि-कूटि चाऊर बनई देबो न।।
परोसी के घर म, लगे हाबै ढेंकी
परोसी के घर म लगे हाबै ढेंकी।
ढेंकी कूटत मजा पइबोन न ,
ढेंकी कूटत मजा पइबोन न।।
एक ठन लकड़ी के ,ढेंकी तै बनई ले,
एक ठन लकड़ी के, ढेंकी तै बनई ले ।
आगू कोति मूसर दई देहु न,
आगू कोति मूसर दई देहु न।।
दुइ थुनिहा म ओला रे मढ़ई दे,
दुइ थुनिहा म ओला रे मढ़ई दे।
आगु कोति बाहना बनई देहु न,
आगु कोति बाहना बनई देहु न।।
तेंहा बहिनी कुटबे मेहा खोई देहूं,
तेंहा बहिनी कुटबे, मेहा खोई देहूं।
मिल जुल धान कुटई जहि न,
मिल जुल धान कुटई जहि न।।
फुन-फुन कोड़हा ओकर उड़इबो,
फुन-फुन कोड़हा ओकर उड़इबो।
कनकी ल घलो अलिगयइबोन न,
कनकी ल घलो अलिगयइबोन न।।
भुकरुस भुकरुस ढेंकी ह करत हे,
भुकरुस भुकरुस ढेंकी ह करत हे ।
धीरे-धीरे धान कुटय जईहे न,
धिरे-धिरे धान कुटय जईहे न।।
ये ढेंकी के अड़बड़ कामे,
ये ढेंकी के अड़बड़ कामे।
आनि-बानि चीज कुट जइथे न,
आनि-बानि चीज कुट जइथे न।।
मिरचा कूटत ले मुंह लाल होवय,
मिरचा कूटत ले मुंह लाल होवय।
हरदी कूटत पिवरा होइ जथे न,
हरदी कूटत पिवरा होइ जथे न।।
कूट -कूट चाऊर साठ बनइले,
कूट-कूट चाऊर साठ बनइले।
साठे के अइरसा बनई लेबो न,
साठे के अइरसा बनई लेबो न।।
चल बहिनी दुःख-सुख उहें गोठियइबो,
चल बहिनी दुःख-सुख उहें गोठियइबो।
कूटी-कूटी धान चल अइबोन न,
कूटि-कूटि धान चल अइबोन न।।
दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार

पागा कलगी-14/7/ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

कोन ल बतावव मय ढेकी के बात।
पारा पड़ोस दाई दीदी मनके नेकी के बात।
मिलजुल के बुता करय नंगाके हाथ।
ढेकी म धान कूटत गावय करमा ददरिया के राग।
कोदई ,कुटकी कूटे के मशीन।
सुघ्घर धान कूटे के मशीन।
अबके टुरी मन बुता छोड़ जाथे जिम।
पहली समे के कहिले जिम के मशीन।
धान कूटत डोकरी दाई के सिखौनी बात।
होनी ल टारे बर अनहोनी बात।
नतनींन मन बर मसखरी बात।
बेटी, बहू बर खोटी खरी बात।
अबतो धान बोवे बर टेक्टर।
धान लुवे मींजे बर हारवेस्टर।
धान कुटेबर धनकुट्टी लगगे,
रांधे बर घला आगे गैस सिलेंडर।
जबले मशीन आये हे लाचारी अमावत हे।
कखरो बीपी,गैस,शक्कर बिमारी बाढ़त हे।
जांगर चलय नही मनखे जांगरचोट्टा होवत हे।
हमर पुरखा के धरोहर ह नंदावत हे।
अब कहा पाबे संगी ,नेकी अउ ढेकी नंदावत हे।
पढ़े लिखे पाबे फेर संस्कारी बहु ,बेटी नंदावत हे।
अबके लइका मनबर ये सब किस्सा होंगे।
अबतो "ज्ञानु"हाय-हाय जिनगी के हिस्सा होंगे।
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ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी कवर्धा