शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

पागा कलगी-14/9/रामेश्वर शाडिल्य

ढेकी बाजे
भकडदम भकड़ दम दम ढेकी बजे।
पयरि चुरी के संग मा डगसी हा नाचे।

नवा बहुरिया धान कूटे झूल झूल के।
आगी मागे पारा म बूल बूल के।
डोकरी दाई हाथ ल काबर् खाँचे।
सुपा बोले त बोले चलनी का बोले।
ननद गोठ करे मन के राज खोले।
ननद भोजाई खूल खूल खूल हासे।
चाउर निमारे हाथ गोड तान के।
बासी खाथे नूनं मिरचा सान के।
चारी चुगली करत नई लागे लाजे।
धन कुट्टी के आये ले ढेकी नदागे।
माई लोगन के मया पिरीत गवागे।
खरर खरर सास हर खासे।
पयरि चूरी के संग मा डगसी हा नाचे।
भकड़दम भकड़ दम दम ढेकी बजे।
रामेश्वर शाडिल्य
हरदी बाजार कोरबा

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