गुरुवार, 21 जुलाई 2016

पागा कलगी-14 /8/दिलीप कुमार वर्मा

चला-चला बहिनी धाने कूटे जइबो ,
चला-चला बहिनी धाने कूटे जइबो।
कूटि-कूटि चाऊर बनई देबो न, 
कूटि-कूटि चाऊर बनई देबो न।।
परोसी के घर म, लगे हाबै ढेंकी
परोसी के घर म लगे हाबै ढेंकी।
ढेंकी कूटत मजा पइबोन न ,
ढेंकी कूटत मजा पइबोन न।।
एक ठन लकड़ी के ,ढेंकी तै बनई ले,
एक ठन लकड़ी के, ढेंकी तै बनई ले ।
आगू कोति मूसर दई देहु न,
आगू कोति मूसर दई देहु न।।
दुइ थुनिहा म ओला रे मढ़ई दे,
दुइ थुनिहा म ओला रे मढ़ई दे।
आगु कोति बाहना बनई देहु न,
आगु कोति बाहना बनई देहु न।।
तेंहा बहिनी कुटबे मेहा खोई देहूं,
तेंहा बहिनी कुटबे, मेहा खोई देहूं।
मिल जुल धान कुटई जहि न,
मिल जुल धान कुटई जहि न।।
फुन-फुन कोड़हा ओकर उड़इबो,
फुन-फुन कोड़हा ओकर उड़इबो।
कनकी ल घलो अलिगयइबोन न,
कनकी ल घलो अलिगयइबोन न।।
भुकरुस भुकरुस ढेंकी ह करत हे,
भुकरुस भुकरुस ढेंकी ह करत हे ।
धीरे-धीरे धान कुटय जईहे न,
धिरे-धिरे धान कुटय जईहे न।।
ये ढेंकी के अड़बड़ कामे,
ये ढेंकी के अड़बड़ कामे।
आनि-बानि चीज कुट जइथे न,
आनि-बानि चीज कुट जइथे न।।
मिरचा कूटत ले मुंह लाल होवय,
मिरचा कूटत ले मुंह लाल होवय।
हरदी कूटत पिवरा होइ जथे न,
हरदी कूटत पिवरा होइ जथे न।।
कूट -कूट चाऊर साठ बनइले,
कूट-कूट चाऊर साठ बनइले।
साठे के अइरसा बनई लेबो न,
साठे के अइरसा बनई लेबो न।।
चल बहिनी दुःख-सुख उहें गोठियइबो,
चल बहिनी दुःख-सुख उहें गोठियइबो।
कूटी-कूटी धान चल अइबोन न,
कूटि-कूटि धान चल अइबोन न।।
दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार

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