गुरुवार, 21 जुलाई 2016

पागा कलगी-14/7/ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

कोन ल बतावव मय ढेकी के बात।
पारा पड़ोस दाई दीदी मनके नेकी के बात।
मिलजुल के बुता करय नंगाके हाथ।
ढेकी म धान कूटत गावय करमा ददरिया के राग।
कोदई ,कुटकी कूटे के मशीन।
सुघ्घर धान कूटे के मशीन।
अबके टुरी मन बुता छोड़ जाथे जिम।
पहली समे के कहिले जिम के मशीन।
धान कूटत डोकरी दाई के सिखौनी बात।
होनी ल टारे बर अनहोनी बात।
नतनींन मन बर मसखरी बात।
बेटी, बहू बर खोटी खरी बात।
अबतो धान बोवे बर टेक्टर।
धान लुवे मींजे बर हारवेस्टर।
धान कुटेबर धनकुट्टी लगगे,
रांधे बर घला आगे गैस सिलेंडर।
जबले मशीन आये हे लाचारी अमावत हे।
कखरो बीपी,गैस,शक्कर बिमारी बाढ़त हे।
जांगर चलय नही मनखे जांगरचोट्टा होवत हे।
हमर पुरखा के धरोहर ह नंदावत हे।
अब कहा पाबे संगी ,नेकी अउ ढेकी नंदावत हे।
पढ़े लिखे पाबे फेर संस्कारी बहु ,बेटी नंदावत हे।
अबके लइका मनबर ये सब किस्सा होंगे।
अबतो "ज्ञानु"हाय-हाय जिनगी के हिस्सा होंगे।
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ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी कवर्धा

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