बुधवार, 30 मार्च 2016

पागा कलगी -6//दिनेश देवांगन "दिव्य"

कुलकत मातत रंग उड़ावत, होरी तिहार आथे !
गली गली नंगारा बाजे, मांदर फाग सुनाथे !!
आसी सैली यस्सु सिवानी, अउ हे सोनू रानी !
लाल हरा अउ पीला धरके, चुपरे रंग जपानी !
कोनो भागय कोनो दौड़े, कोनो हे लूकाये !
कोनो सरसर पिचकारी मा, कोनो रंग सनाये !!
लइका मन के किलकारी ले, रंग घला शरमाथे !
गली गली नंगारा बाजे, मांदर फाग सुनाथे !!
कोनो रावन कोनो मोदी, कोनो बनके भोला !
लइका सजके इतरावत हे, किसम किसम धर चोला !!
सबला बाँटे अपन मया ला, मलके गाल गुलाबी !
भाईचारा के तिहार हे, लगथे सबो नवाबी !!
कतको बैरी ये होली मा, सबला हाथ मिलाथे !
गली गली नंगारा बाजे, मांदर फाग सुनाथे !!
धरती माते अंबर माते, माते सोन चिराई !
आमा माते अमरइया मा, माते गाँव तराई !!
फागुन के संदेशा लेके, आथे अउ पुरवाई !
होली के आगी मा जोरव, मन के सबो बुराई !
रंग बिरंगा बरसा करथे, मया प्रीत बोहाथे !
गली गली नंगारा बाजे, मांदर फाग सुनाथे !!
दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ ( छत्तीसगढ़ )

शुक्रवार, 25 मार्च 2016

पागा कलगी -6 बर//महेश मलंग

जतका मन के जाला हे चला ओला झार दिन 
होरी के संग मन के कचरा ला बार दिन 
छोड़ाय ले जे मत छुटय अईसन पक्का रंग 
मया औ पिरित के आपस म डार दिन 
हिरदय के टेसू खिलय मन के आमा बौर जाय
फागुन असन बीत जाय जीनगी के चार दिन
नशा नाश के जड़ आय ऐ बात जान के
छोड़के नशा पत्ती घर बार ला संवार दिन


-महेश मलंग

पागा कलगी -6//महेन्द्र देवांगन माटी

फाग गीत
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बाढ़गे मंहगाई के दाम जी
कइसे मनावन तिहार जी ...........2
कइसे मनावन तिहार जी
कइसे मनावन तिहार जी
बाढ़गे मंहगाई के दाम जी
कइसे मनावन तिहार जी
नोनी बाबू मन पइसा मांगत हे
पइसा मांगत हे जी पइसा मांगत हे
ले दे मिठाई कहिके मुंहूं ताकत हे
मुंहूं ताकत हे जी मुंहूं ताकत हे
कहां ले पइसा हम लान जी
कइसे मनावन तिहार जी
बाढ़गे मंहगाई के........................
लइका मन भर भर के पिचका मारत हे
पिचका मारत हे जी पिचका मारत हे
डोकरा ह डोकरी में रंगे डारत हे
रंगे डारत हे जी रंगे डारत हे
चढ़हे हे दारु अऊ भांग जी
कइसे मनावन तिहार जी
बाढ़गे मंहगाई के .........................
दारे सिरागे अऊ चांऊर सिरागे
चांऊर सिरागे जी चांऊर सिरागे
तनखा ल जोहत माथा पिरागे
माथा पिरागे जी माथा पिरागे
कइसे चलाबो घर दुवार जी
कइसे मनावन तिहार जी
बाढ़गे मंहगाई के दाम जी
कइसे मनावन तिहार जी
होरी है
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रचना
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कवर्धा)

पागा कलगी -6 //सुनिल शर्मा"नील"

""होली तिहार हरय""
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होली तिहार हरय पाप ल बारे के
भीतर म बइठे घमंड ल मारे के
मया अउ प्रेम के रंग उड़ाय के
छोटे बड़े सबला गला लगाय के
सियान मनके अशीष पाय के
मीठ बोले अउ मिठ खाय के
कचरा ल बार साफ सफई के
फाग के गीत म मदमस्त नचइ के
देश अउ समाज म मिठास घोरे के
घर घर फइले नशा ल छोरे के
नोहय तिहार एहा अश्लीलता के
चिन्हारी हरे संस्कृति के बिशेषता के|
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==वन्दे मातरम्===
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
७८२८९२७२८४
९७५५५५४४७०
रचना-२५\०३\२०१६
©®

बुधवार, 23 मार्च 2016

पागा कलगी -6 बर//राजेश कुमार निषाद

।। तिहार होली ।।
फागुन के महीना आये हे तिहार होली।
रंग गुलाल लगा के संगी करबो हंसी ठिठोली।
लईका मन खेलय पिचकारी
संगी जहुरिया मन लगाय गुलाल।
दिन भर गली म चहल पहल राहय
गांव लागे बड़ खुशहाल।
गोठियाथे ग सब मया प्रित के बोली।
फागुन के महीना आये हे तिहार होली।
गली गली म बाजे नगाड़ा
गीत होली के गाये।
एक दूसर से बैर छोड़ के
सब ल हाथ मिलाये।
झूम झूम के नाचे सब खाये भांग के गोली।
फागुन के महीना आये हे तिहार होली।
दिन भर खेले रंग गुलाल
सांझकुन पहिने सब नवा कपड़ा।
घर घर रोटी पिठा चुरे
नई होवय कोनो झगड़ा।
आनि बानि के रोटी चुरय
महर महर ममहाय सबके घर के खोली।
फागुन के महिना आये हे तिहार होली।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

पागा कलगी -6//- हेमलाल साहू

होली
फागुन के महिना हरे, तिहार होली आय।
होलिका दहन बाद में, तिहार ल ये मनाय।।
सच के रद्दा मे चलव, होवय नही ग हार।
याद पहलाद के करव, मना लव ये तिहार।।
तिहार होली देख ले, गाव गाव मा छाय।
लिपाय पुताय घर हवे, सुघ्घर रौनक लाय।।
होली हा आगे हवय, उड़य रंग गुलाल।
जगा जगा मा देख ले, बजे नगाड़ा ताल।।
फाग गीत ला गात हे, नाचे झुमके यार।
संगी साथी मिल बने, मनाबो चल तिहार।।
कायर कपट ल छोड़के, बने मना ले यार।
बारह बछर म आय गा, होली हवे तिहार।।
घर घर जाके चल बने, लगाबो गा रंग।
रहे बने आशीष हा, बड़े के हमर संग ।।
मया दया के भाव ले, बने हवे गुलाल।
माय दया के भाव ले, रंग लगाबो लाल।।
मया दया सबके हवे, मया रंग हे लाल ।
माटी के बेटा हमन, रंग लगाबो गाल।।
लइका मन से सीख ले, खेलत रंग गुलाल।
ककरो मेरा बैर नही, लगावय रंग गाल।।
मोरो हावय गा अरज, मानहु तुमन तिहार।
पानी ल खपत मत करहु, तुमन ह गा बेकार।
हेमलाल साहू
ग्राम- गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील- नवागढ़, जिला- बेमेतरा

पागा कलगी -6//आशा देशमुख

मोर गांव के होरी
होरी हे होरी हे होरी ,मोर गांव के होरी
संगी साथी जुल मिल खेले ,अउ खेले सब गोरी |
होरी हे होरी
महुआ परसा फूले हावे ,महकत हे अमरैया |
सरसर सरसर डारा बाजे ,चलत हवे पुरवैया |
गुत्तुर गुत्तर कोयल बोले ,मन भंवरा मतियाये ,
नावा नावा डारा पाता , सबके मन मोहाये |
मिट्ठू मन आमा अमली ला ,ठुंनक ठुनक के फोरी |
होरी हे होरी
कुहुक कुहुक के डंडा नाचे ,टोली गाये गाना ,
मथुरा गोकुल जैसे लागे ,सब्बो झन के हाना |
पखवाड़ा भर बजें नगाड़ा ,भरे रथे चौपाला ,
हाँसी ठट्ठा करथे सब झन ,ख़ुशी बतावव काला
जे पावे ते रंग लगाये ,कोन करे मुँह जोरी |
होरी हे होरी
घर घर दिखथे लीपे पोते ,मुँह ह दिखे पचरंगा ,
का जवान अउ का हे बुढ़वा| ,सब होंगे हे चंगा |
हाँसत खेलत टुरी टुरा मन , मया लुटाए गारी ,
बड़के छोटे जात धरम के ,नइ हे कछु चिन्हारी
रंग गुलाल म सब मिल गेहे , सब्बो छोरा छोरी |
होरी हे होरी हे होरी ,मोर गांव के होरी
-आशा देशमुख