बुधवार, 23 मार्च 2016

पागा कलगी -6//आशा देशमुख

मोर गांव के होरी
होरी हे होरी हे होरी ,मोर गांव के होरी
संगी साथी जुल मिल खेले ,अउ खेले सब गोरी |
होरी हे होरी
महुआ परसा फूले हावे ,महकत हे अमरैया |
सरसर सरसर डारा बाजे ,चलत हवे पुरवैया |
गुत्तुर गुत्तर कोयल बोले ,मन भंवरा मतियाये ,
नावा नावा डारा पाता , सबके मन मोहाये |
मिट्ठू मन आमा अमली ला ,ठुंनक ठुनक के फोरी |
होरी हे होरी
कुहुक कुहुक के डंडा नाचे ,टोली गाये गाना ,
मथुरा गोकुल जैसे लागे ,सब्बो झन के हाना |
पखवाड़ा भर बजें नगाड़ा ,भरे रथे चौपाला ,
हाँसी ठट्ठा करथे सब झन ,ख़ुशी बतावव काला
जे पावे ते रंग लगाये ,कोन करे मुँह जोरी |
होरी हे होरी
घर घर दिखथे लीपे पोते ,मुँह ह दिखे पचरंगा ,
का जवान अउ का हे बुढ़वा| ,सब होंगे हे चंगा |
हाँसत खेलत टुरी टुरा मन , मया लुटाए गारी ,
बड़के छोटे जात धरम के ,नइ हे कछु चिन्हारी
रंग गुलाल म सब मिल गेहे , सब्बो छोरा छोरी |
होरी हे होरी हे होरी ,मोर गांव के होरी
-आशा देशमुख

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