शुक्रवार, 25 मार्च 2016

पागा कलगी -6 बर//महेश मलंग

जतका मन के जाला हे चला ओला झार दिन 
होरी के संग मन के कचरा ला बार दिन 
छोड़ाय ले जे मत छुटय अईसन पक्का रंग 
मया औ पिरित के आपस म डार दिन 
हिरदय के टेसू खिलय मन के आमा बौर जाय
फागुन असन बीत जाय जीनगी के चार दिन
नशा नाश के जड़ आय ऐ बात जान के
छोड़के नशा पत्ती घर बार ला संवार दिन


-महेश मलंग

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