शुक्रवार, 25 मार्च 2016

पागा कलगी -6 //सुनिल शर्मा"नील"

""होली तिहार हरय""
*********************************
होली तिहार हरय पाप ल बारे के
भीतर म बइठे घमंड ल मारे के
मया अउ प्रेम के रंग उड़ाय के
छोटे बड़े सबला गला लगाय के
सियान मनके अशीष पाय के
मीठ बोले अउ मिठ खाय के
कचरा ल बार साफ सफई के
फाग के गीत म मदमस्त नचइ के
देश अउ समाज म मिठास घोरे के
घर घर फइले नशा ल छोरे के
नोहय तिहार एहा अश्लीलता के
चिन्हारी हरे संस्कृति के बिशेषता के|
*********************************
==वन्दे मातरम्===
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
७८२८९२७२८४
९७५५५५४४७०
रचना-२५\०३\२०१६
©®

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें