मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

पागा कलगी -24 //6//ज्ञानु'दास' मानिकपुरी

पंथी गीत
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अमरित हे बाबा के बानी
संगी सुनले अमर कहानी।
-अट्ठारह दिसम्बर सतरा सौ छप्पन गिरोदपुरी के धाम ग।
महंगु अमरौतीन के घर अवतरिस लईका घासीदास नाम ग।
लईकोशी ले रहय धियानी
संगी सुनले अमर कहानी।
-लईकापन ले बड़ त्यागी,तपस्वी करय रोज क़माल ग।
सतमारग के रददा रेंगे नइ आईस मोहमाया के जंजाल म।
तपस्या करत बिताये जवानी
संगी सुनले अमर कहानी।
-जातीपाति,छुआछूत ल मिटाय बर भरीन बाबा हुंकार न।
मनखे मनखे ल एक बताय घुम घुम जम्मों संसार न।
कहाँ भुलाये रे मूरख अज्ञानी
संगी सुनले अमर कहानी।
- मांसमदिरा ले दुरिहा रहू झन बोलहू कभू लबारी न।
पर के तिरिया बेटी ल समझहु जइसे अपन महतारी न।
काबर बने हवस रे नदानी
संगी सुनले अमर कहानी।
-सत् के अलख जगाके बाबा हिरदे म दरस कराईन हे।
एके परमात्मा ये दुनिया म गुरु सबला बताईन हे।
कहाये गुरु घासीदास बाबा ज्ञानी
संगी सुनले अमर कहानी।
ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा 9993240143

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