मंगलवार, 15 मार्च 2016

पागा कलगी क 5//रामेश्वर शांडिल्य


काबर खेली हम गिल्ली डंडा
हमरो बर ला दो गेंद बल्ला ।
चौका छक्का हमन लगाबो
देश म अपन नाव कमाबो।
काबर खेली हम भौरा बाटी
किरकेट खेलथे सब साथी ।
नई बनान हम घरघुदिया
कम्पूटर खेलत हे दुनियां ।
खो खो कबड्डी संतुल नदागे
गांव के सब खेल माटी सनागे।
धुराॅ माटी पानी म बोहागे
तइहा के खेल सब नदागे।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

रविवार, 13 मार्च 2016

पागा कलगी क्र.5 //ओमप्रकाश चौहान

नंदागे हमर जम्मो खेल
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
बिही बारी अउ ओ डोंगरी के खेल
डंडा पचरंगा अउ ओ संगीमन के रेल
काहां मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
अब तो बिते बछर होगे हमर जम्मो खेल,
भौंरा बांटी अउ ओ जनउला के खेल
गाँव गली अउ ओ सुग्घर सुनता के मेल
काहाँ मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
कारी पाख बनगे हमर जम्मो खेल,
खो खो कबड्डी अउ ओ ढेलवा के खेल
नोनी बाबु अउ ये सांझर मिंझरा के मेल
काहां मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
अंधयारी रतिहा होगे हमर जम्मो खेल,
सुर रेस टीप अउ ओ खिलाचोर के खेल
संझा बिहना अउ ये मंझनिया के खेल
काहाँ मेर लुकागे काहाँ मेर छेकागे
अब तो पहुना होगे हमर जम्मो खेल,
बइला गाड़ी अउ ओ झुलना दउंरी के खेल
मया मयारू अउ पावन पिरीतिया के मेल
काहां मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
बस पुन्नी के चंदा होगे हमर जम्मो खेल,
अटकन बटकन अउ ओ जनउँला के खेल
बबा दाई अउ ओ लोरी कहानी के मेल
काहां मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
खाली सुरता बनगे हमर जम्मो खेल,
चकरबिलस अउ ओ गोंटा भटकउला के खेल
सांझर मिंझरा अउ ओ नोनी मन के मेल
काहां मेर लुकागे अउ काहाँ छेकागे
अब तो परदेसी होगे हमर जम्मो खेल।
" ओमप्रकाश चौहान "
" बिलासपुर "

पागा कलगी 5// सुनिल शर्मा

कतका सुग्घर रहीस नानपन 'नीम' तरी 
सकलावन
बीच चउक धर 'बांटी-भौरा'नगत सब
चिल्लावन
कबड्डी,पिट्टूल,खोखो,खेलके जब
घर आत रहेन
'मनोरंजन' तो होबे करय सुग्घर 'सेहत'
घलो पात रेहेंन
डोकरी दाई ह फोर चिचोल 'तीरी पासा'
खेलावय
लइकामन ल इही बहाना 'जिनगी के गनित'समझावय
कतका सुग्घर...........................
बीस-अमरीत,बिल्लस,परी-पत्थर
आनी-बानी खेल रहय
'उंच-नीच'के नाव नइ पातेस सुग्घर
सबके मेल रहय
काला कहीथे अनुसासन खेल इही
समझाइस हे
मया पिरित ,भाईचारा के क ख ग
ल बताइस हे
'फरीयर' रहय मन बाँटी कस जम्मों
खेल देवय 'संदेस'
नंदावत सब खेल ल देखके रोवत हे
छत्तीसगढ़ देख
कतका सुग्घर रहीस........................
बिदेसी संस्कीरति के आंच म छत्तीसगढ
अइलावत हे
नई खेलय 'गिल्ली-डंडा' कोनो सब 'किरकेट' चिल्लावत हे
मोबाइल के टिपिर टापर नानपन ल
नगावत हे
लइकामन दिखथे सियान नानपन
म तसमा चढ़ावत हे
डोकरी दाई के खेल कोनो अबके लइका
नइ भावय
तरियापार हावय सुन्ना सोर डंडा
पिचरंगा नइ सुनावय
कतका सुग्घर............................
अपन खेल तना-नना आन देस के होवत
हे परसिद्ध
दाई ददा के पुछइया नइहे अउ परोसी
लागत हे सिद्ध
चल कसबो कनिहा संगी संस्कीरति ल
अपन बचाबो
"छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी" ल ओखर
मान देवाबो
नई जगाबो जबतक मया लइकामन म संसकिरती बर
अभीरथा रइही सबो बिकास चाहे लन
कतको उन्नति कर|
कतका सुग्घर.................
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
७८२८९२७२८४
रचना दिनाँक-१३\०३\२०१६
CR

शनिवार, 12 मार्च 2016

पागा कलगी 5//लक्ष्मी नारायण लहरे

० गली खोल होगे सुना .....
_______________________
सुरता करथो मोर नानपन के संगवारी मन ल
भुला जाथो मै अपन सुध बुध ल
खडे मंझनिया बर -पीपर के छैन्हा म
खेलन बांटी ,मुन्दिहरा के बेरा म छु चुवौला
थके हारे घर म आके भात खाके
गली म जुरियान
का बिहिनिया का रथिया
संगवारी मन संग नदी -पहाड़ खेल खेल म आँट पसार ल मतान
का जुग आगे रे संगी
गाँव के सबो खेल नंदागे
संगवारी मन के नाम नंदागे
जबले घर घर म हीरो -हिरोइन के छप्पा टगागे
भंवरा, बांटी रेसटिप
गुल्ली डंडा अउ फुगडी
जमो खेल के नाम मोर लईका भुलागे
अब संगवारी जमो खेल नंदागे
गीत अउ कहिनी टीबी म छागे
कम्पियूटर अउ मोबाइल म
नान-नान लईका भुलागे
का जुग आगे रे संगी
गाँव के सबो खेल नंदागे .....
गली खोल होगे सुना
संगवारी मन नानकन के मया भुलागे
जबले गाँव म खेल नंदागे ....
सुरता करथो मोर नानपन के संगवारी मन ल
भुला जाथो मै अपन सुध बुध ल
(छोटकुन मोर प्रयास)
लक्ष्मी नारायण लहरे ,साहिल, कोसीर सारंगढ़

पागा कलगी 5//चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

( कहाँ पाबे अब अइसन खेल)
....."........"......."........"......
हमर छत्तीसगढ़ के खेल
हरय हमर नानपन के मेल
.......................................
घूमत रहन बइला भइसा कस
नदियाँ-तरियाँ के पारे पार
गिंजरत रहन खरी मझनियाँ
बहेरा कस भूत खारे खार
हाँथ में धरे गोंटी अउ गुलेल
अइसन तो रहय हमर खेल..।
घर दुवारी अउ मैदान म
बाड़ी खेत अउ दईहान म
जम्मो संगवारी जुरीयावन
पुरा गाँव भर ल मतावन
अब नंदा गए अइसन मेल
कहाँ पाबे अब अइसन खेल ।
बनके गुरु जी लगावन सोंटा
बिल्लस खेलन चालन गोंटा
डब्बा टीना के बजावन तासा
कौड़ी चिचोल के चालन पासा
बिसरा गे अब अइसन खेल
खेलन कूदन सब होवय मेल।
कूदन बितन्गी अउ छु-छुवउला
खेलन फुगड़ी अउ गीत गवऊला
अटकन बटकन दही के चटकन
बिन गाजा बाजा के सब मटकन
खेलन जम्मो मिलके पेल-ढपेल
अइसन तो रहय सब हमर खेल।
खेलन जुरमिल के डंडा पचरंगा
कोनो रहय मरहा कोनो बजरंगा
जितय तेनमन करय जोहार
हरय तेनमन पारय गोहार
नंदावत हे अब अइसन खेल
संगवारी मन ले होवय मेल ।
वाह रे हमर कांच के बांटी
दिखब में मनखे कस आंखी
हार जीत के लगे रहय बाजी
जीतन त रपोट लगावन छाती
कहाँ पाबे अब अइसन खेल
जेमा रहय बालपन के मेल ।
वाह रे हमर बिन पाँखी के भौंरा
झुमय हमर खोर गली के चौंरा
आवय हमर दांव गोदन गोदना
अगला के मात जावय रोदना
नदावत हे अब अइसन खेल
लड़न झगड़न हो जावय मेल ।
खेल हमर पित्तुल के भदउला
खोर गली में खेलन लुकउला
दउड़ दउड़ के चक्का चलावन
बइला गाड़ी ला कसे दौड़ावन
संगवारी मन से होवय मेल
नदावत हे अब अइसन खेल ।
खेलन बिस अमृत परी-पत्थर
गाके गोल गोल लगावन चक्कर
धरे रहन कठवा के पुतरी-पुतरा
मनखे कस पहिरान धोती लुगरा
कहाँ पाबे अब अइसन मेल
नदांवत हे अब अइसन खेल ।
....."......."........"......"......
हमर छत्तीसगढ़ के खेल.....
हरय हमर नानपन के मेल....
......"......."....."......".....
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

शुक्रवार, 11 मार्च 2016

पागा क्र 5//- हेमलाल साहू

हमार जुन्ना खेल नदागे।
हमार जुन्ना खेल ला, चल संगी लाबोन।
तन के कमजोरी भगे, ताजगी जगाबोन।।
हमार जुन्ना खेल नदागे।
देख कइसन जवाना आगे।।
नानपन के खेल हा नदागे।
सुरता बन आखी म समागे।।
गांव म गिल्लि डण्डा नदागे।
मनखे बीच गोला लुकागे।।
जुन्ना रेसटीप हा सिरागे।
पतरगरहि के खेल नदागे।।
देख बाटी भौरा लुकागे।
खो- खो, फुगड़ी कहा गवागे।।
तरिया के छु छुवाल सिरागे।
पुतरि पुतरा बिहाव नदागे।।
तीरी पासा कहा गवागे।
पासा के खेलिया नदागे।।
नदी पहाड़ खेल ह लुकागे।
अखमुंदा के खेल नदागे।।
अटकन बटकन कहा गवागे।
धुर्रा फुतकी खेल ह नदागे।।
देख आज मो. के गेम आगे।
सबो आज टी.बी. म भुलागे।।
पहली असन तन नई हावे।
खेल बिना कमजोर हावे।।
चल न जी जुन्ना खेल लाबो।
अपन खेल ला हमन बचाबो।।
परयास हवे मोर गा, देहु बने तुम ध्यान।
लिखे हाव मैहा बने, कमी ढूँढ दे ज्ञान।।
- हेमलाल साहू
ग्राम- गिधवा ,पोस्ट- नगधा
तहसील - नवागढ़ , बेमेतरा

गुरुवार, 10 मार्च 2016

पागा कलगी-5//ललित वर्मा, छुरा

आज विकास के सुरूज म-२,अईलावथे जुन्ना खेल
नंदावत हाबय जी-२,मोर गांव-गवंई के खेल
गली-खोर म भौरा-बांटी, रेसटीप अउ जनउला
परछी-चौरा म पुतरा-पुतरी,भोटकुल चुरी लुकउला
फुगड़ी बिल्लस फोदा पिट्ठूल-२,म सिखय तन-मन मेल
नंदावत हाबय जी--------
घरघुंधिया म सगा अउ पहुना, खेलय बहिनी-भईया
चूलहा-चुकिया म जेवन बनई म, बनय जी नोनी मईया
संग चोर-पुलिस के खेल म संगी-२,सिखय रीत-नीत मेल
नंदावत हाबय जी--------
लंगड़ी टिटंगी बोरा रस्सी- दौड़ म तन हरियावय
खड़खड़िया तीरी-पासा गोटा म,मन-मति बड़ फरियावय
छू-छूवउल अटकन-बटकन म,-२हे गियान-धियान के मेल
नंदावत हाबय जी-------
ए खेल हे तन-मन मिंजनी माटी, छत्तीसगढ़ के थाती
पुरखा के जी दिया अउ बाती, बरत रहे दिन-राती
जुन्ना खेल म दिखथे संगी,-२ पुरखा-लईका के मेल
नंदावत हाबय जी--------
आज विकास के सुरूज म-२,अईलावथे जुन्ना खेल
नंदावत हाबय जी, मोर गांव-गवंई के खेल
नंदावत हाबय गा,मोर छत्तीसगढिया खेल ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सिरजईया:-ललित वर्मा, छुरा