शनिवार, 12 मार्च 2016

पागा कलगी 5//लक्ष्मी नारायण लहरे

० गली खोल होगे सुना .....
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सुरता करथो मोर नानपन के संगवारी मन ल
भुला जाथो मै अपन सुध बुध ल
खडे मंझनिया बर -पीपर के छैन्हा म
खेलन बांटी ,मुन्दिहरा के बेरा म छु चुवौला
थके हारे घर म आके भात खाके
गली म जुरियान
का बिहिनिया का रथिया
संगवारी मन संग नदी -पहाड़ खेल खेल म आँट पसार ल मतान
का जुग आगे रे संगी
गाँव के सबो खेल नंदागे
संगवारी मन के नाम नंदागे
जबले घर घर म हीरो -हिरोइन के छप्पा टगागे
भंवरा, बांटी रेसटिप
गुल्ली डंडा अउ फुगडी
जमो खेल के नाम मोर लईका भुलागे
अब संगवारी जमो खेल नंदागे
गीत अउ कहिनी टीबी म छागे
कम्पियूटर अउ मोबाइल म
नान-नान लईका भुलागे
का जुग आगे रे संगी
गाँव के सबो खेल नंदागे .....
गली खोल होगे सुना
संगवारी मन नानकन के मया भुलागे
जबले गाँव म खेल नंदागे ....
सुरता करथो मोर नानपन के संगवारी मन ल
भुला जाथो मै अपन सुध बुध ल
(छोटकुन मोर प्रयास)
लक्ष्मी नारायण लहरे ,साहिल, कोसीर सारंगढ़

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