रविवार, 13 मार्च 2016

पागा कलगी 5// सुनिल शर्मा

कतका सुग्घर रहीस नानपन 'नीम' तरी 
सकलावन
बीच चउक धर 'बांटी-भौरा'नगत सब
चिल्लावन
कबड्डी,पिट्टूल,खोखो,खेलके जब
घर आत रहेन
'मनोरंजन' तो होबे करय सुग्घर 'सेहत'
घलो पात रेहेंन
डोकरी दाई ह फोर चिचोल 'तीरी पासा'
खेलावय
लइकामन ल इही बहाना 'जिनगी के गनित'समझावय
कतका सुग्घर...........................
बीस-अमरीत,बिल्लस,परी-पत्थर
आनी-बानी खेल रहय
'उंच-नीच'के नाव नइ पातेस सुग्घर
सबके मेल रहय
काला कहीथे अनुसासन खेल इही
समझाइस हे
मया पिरित ,भाईचारा के क ख ग
ल बताइस हे
'फरीयर' रहय मन बाँटी कस जम्मों
खेल देवय 'संदेस'
नंदावत सब खेल ल देखके रोवत हे
छत्तीसगढ़ देख
कतका सुग्घर रहीस........................
बिदेसी संस्कीरति के आंच म छत्तीसगढ
अइलावत हे
नई खेलय 'गिल्ली-डंडा' कोनो सब 'किरकेट' चिल्लावत हे
मोबाइल के टिपिर टापर नानपन ल
नगावत हे
लइकामन दिखथे सियान नानपन
म तसमा चढ़ावत हे
डोकरी दाई के खेल कोनो अबके लइका
नइ भावय
तरियापार हावय सुन्ना सोर डंडा
पिचरंगा नइ सुनावय
कतका सुग्घर............................
अपन खेल तना-नना आन देस के होवत
हे परसिद्ध
दाई ददा के पुछइया नइहे अउ परोसी
लागत हे सिद्ध
चल कसबो कनिहा संगी संस्कीरति ल
अपन बचाबो
"छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी" ल ओखर
मान देवाबो
नई जगाबो जबतक मया लइकामन म संसकिरती बर
अभीरथा रइही सबो बिकास चाहे लन
कतको उन्नति कर|
कतका सुग्घर.................
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
७८२८९२७२८४
रचना दिनाँक-१३\०३\२०१६
CR

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