सोमवार, 15 अगस्त 2016

पागा कलगी-15//19// लोकेन्द्र"आलोक"

शीर्षक- देश बर जीबो देश बर मरबो
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भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।
सीमा मा पहरा देवत हम हर
चल संगी देश के सेवा करबो ।।
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।।
ये भुईहा ला हरियाये बर
हम हाथ मा नांगर धरबो ।
धान जगा हम हर जम्मो
देशवासी के पेट भरबो ।।
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।।
बनके सैनिक हम सीमा में
बईरी के छाती मा गोली भरबो ।
बन मजदुर ये भुईहा मा
नवा कामबुता ला करबो ।।
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।।
बन महाराणा के जोश हम
आतंकी मन ले लड़बो ।
सुबाषचंद्रबोश के क्रांति बोली
बन , जन में क्रांति भरबो ।।
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।।
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कवि - लोकेन्द्र"आलोक"
ग्राम+पोष्ट - अरमरीकला
तहसील - गुरुर
जिला - बालोद
पिन कोड - 491222
मो. - 9522663949

पागा कलगी-15//18//पी0 पी0 अंचल

"देश बर जीबो देश बर मरबो"

सरबस जिनगी इहि देश बर,
जियत भर सेवा करबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
सबो बने करनी इहि देश बर,
दया धरम करम इहि देश बर।
फूंक फूंक के पाँव धरबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
नारी के सनमान के खातिर,
नोनी के अधिकार के खातिर।
रोटी कपड़ा मकान के खातिर,
सबो के उत्थान के खातिर।
चलव अईसन कछु करबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
आज ले देश में जात पात हे,
दिनमान घलो इन्हा रात हे।
आंखी बाला घलो हें अंधरा,
मंडरावत हे देश म खतरा।
आवव जुरमिल के हरबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
कश्मीर ले कन्याकुमारी तक,
लइका सियान आउ महतारी तक।
अपन करनी कमाई के अन्न,
सबो के बटकी आउ थारी तक।
चला आवा जेवन ल रखबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
बिजली, शिक्षा, सडक आउ पानी,
सबो के कंठ में विकास के कहानी।
चारो डहर रहय साफ सफाई,
सबो के चलय देश म सियानी।
आवव स्कुल डहर पाँव धरबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
इहि देश म उपजेन इहि बाढ़ेन,
जब तक रही जान म जान गुंइय्यां।
दुबारा जनम लेहे बर हदरबो।
बिकास दिन दूना रात चौगुना
होय इहि हम रात दिन सुमरबो
कोनो दुर्जन घात मढ़ाय मिलही
ईमान से ओला भारी थुथरबो।।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
जय हिन्द
रचना:- पी0 पी0 अंचल
हरदीबाज़ार कोरबा

पागा कलगी-15//17//देवेन्द्र कुमार ध्रुव

देश बर सबके योगदान जरुरी हे
इही मा टिके हमर जिनगी के धुरी हे
ऐकर हित मा,अपन सब कुछ वार के 
शुरू फेर बलिदान के कहानी ,देश बर करबो...
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो....
सबके अन्तस मा मया के बीजहा बोबोन
अऊ मया पिरीत के फसल काटबोंन
सबके मन मा प्रेम के धनहा उपजय
चलव अइसन किसानी ,देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो....
हमर जिनगी ऐ धरती के दे उधारी
अब ओ कर्जा ला छुटे के हे पारी
बचपना ला तो खेल मा,अबिरथा गवांगे
चलव अपन जवानी, देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो....
खतम करना हे समाज के कुरीति ला
मनखे मनखे ला लड़ाये के नीति ला
मिलजुल सबला एकता के सन्देश देबोन
चलव सब संग मितानी,देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो.....
अन्धबिस्वास अशिक्षा ले जिनगी नरक
नई जानें असल अऊ छलावा मा फरक
गियान के दीया जलाके करबो उजियारा
चलव अब सबला ज्ञानी,देश बर करबो...
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो.....
देखव कोन बैरी आँखी देखावत हे
हमर घर अंगना मा बम गिरावत हे
घर के भेदी ला घलो चिन्हे ला लागही
चलव बैरी ला चानी चानी,देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो .....
अन्न धन भरे, फेर सोन चिरईया कहाय
देशभक्ति के भाव सबके मन मा समाय
शोभा सुघ्घर ,दुनिया देखत रही जाय
उदीम तरक्की के आनी बानी,देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो.....
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डीआर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद(छ ग)

पागा कलगी-15 //16//सूर्यकांत गुप्ता

देस बर जीबो देस बर मरबो
देस बर जीबो देस बर मरबो सिरतों बचन निभाबो
आजादी के अतलँगहा ला सीधा सरग देखाबो
भारतदाई ला कलकुत ले मिलजुल जउन उबारिन
उंखर कुरबानी के नेता हालत का कर डारिन
सहन नही अन्याय ल इंखर अब तो सबक सिखाबो
देस बर जीबो देस बर मरबो सीधा सरग देखाबो
कहाँ गँवागै अब वो ज़ज्बा मानन तोला दाई
दरथें छाती मा अब कोदो काट काट रुख राई
नई सहावय अब ये करनी पापी ला भुगताबो
देस बर जीबो देस बर मरबो सीधा सरग देखाबो
खादी खाकी के डरेस मा देस प्रेम दरसाथें
गाँधी नेहरू अउ पटेल के गुन एके दिन गाथें
राजनीति के दल हे बाढ़े दल दल मा ओला धँसाबो
देस बर जीबो देस बर मरबो सीधा सरग देखाबो
आजादी ला पाके सबझन दाइ के दरद भुलागैं
मुखिया के चक्कर मा भाई देस घलो ह बँटागै
फल भोगत हें जनता ओकर कइयों होम देवाके
घड़ियाली आँसू बोहवावत उन रहत मस्त हें फाँके
अइसन मनखे मन ला जुरके मुख कालिख पोतवाबो
देस बर जीबो देस बर मरबो देस ला सरग बनाबो
जय हिंद ..जय भारत..
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ. ग.)

गुरुवार, 11 अगस्त 2016

पागा कलगी-15 //15//दिलीप वर्मा

देश बर जीबो देश बर मरबो।
जनम लेये हन जे भुईया मा,
ओकर नाव हम करबो। 
देश बर जीबो जीबो,देश बर मरबो।
हमन किसनहा दाई के बेटा,
मेहनत हमर भगवान ये।
कोनो भूखा झन राहय ग,
इहि हमर अरमान हे।
मेहनत कस हम अन्न उगा के 2
दाई के कोरा भरबो।
देश बर जीबो---------------------
कोनो दुश्मन पाँव धरय झन,
पहरा देबो चारो कोती।
देश के दीदी ,भाई बहिनी मन,
चैन से सुते हमर सेती।
चाहे जान भले चल देवय 2
देश के रक्षा करबो।
देश बर जीबो---------------
हमिमन ह नेता बनबो,
अउ बनबो हम अधिकारी।
देश ल आगू बढ़ाये खातिर,
जान लड़ाबो संगवारी।
सुनता मा मिलजुल के जम्मो2
हर तकलीफ ल हरबो।
देश बर जीबो----------------
हमर देश ह मिले हे हमला,
बड़ विपदा ला झेल के।
देश आजादी पाये हाबन,
अपन जान ले खेल के।
अइसन दुबारा झन होवय गा2
तइसन चेत हम करबो।
देश बर जीबो -----------------
दिलीप वर्मा
बलौदा बाज़ार

पागा कलगी-15 //14//मनमोहन सिंह ठाकुर

माटी के दियाना कस संगी देस के खातिर जरबो 
देस बर जीबो देस बर मरबो देसबर सब कुछ करबो ....

छाए हे अँधियारी घुप घुप 
घुघुवा के इहाँ राज हे 
साव.के हाथ पाँव बँधागे 
चोर के मुड़ म ताज हे 
आओ संगी चोर जमों ल 
चना बरोबर दरबो ....
देस बर जीबो ...........

लात के भूत माने नी ही 
तू कतकॊ कर ल बात 
बात समझ म ओला आथे 
जब पर थे ओला लात 
गद्दार जमों ल धान ब रो बर 
ढेकी मा अब दरबो .........
देस बर जीबो ...........

जर गिन शिवा सुभाष लक्ष्मी 
वीर नारायण जर गिन 
राज़ गुरु शुकदेव भगत सिंह 
हँसत फाँसी चढ़ गिन 
भारत माँ के पीराजमों ल 
जुर मिल के हरबो ...........
देस बर जीबो देस बर .मरबो .............

मनमोहन सिंह ठाकुर 
हनुमान चौक ,खरसिया .

बुधवार, 10 अगस्त 2016

पागा कलगी-15//13//नन्द वर्मा

देश बर जीबो, देश बर मरबो।
देश बर जीबो, देश बर मरबो के सिद्धांत ले,
आजाद होइस हे हमर ए हिंदुस्तान।
उहि दिन ले आज तक झंडा फहरावत हे,
लईका सियान अउ सबो जवान।
याद करव ओ दिन ल, जेन दिन म,
हजारो लाखो मन होइस हे कुर्बान।
कतका गंभीर रहिस हे ओ पल ह,
जीहां बोहाइस, होली कस लहू के निसान।
1945 के हत्याकांड दिल बहला देते अउ,
उड़ा देथे चेहरा के हंसी-मुस्कान।
तेने दिन ले आए तिरंगा म,
हमर ए अशोक चक्र के निसान।
थोकन सहीद मन बर घलो पराथना कर लव,
देस के जियत जागत नवजवान।
नवजवान एखर सेती कहिथव काबर की,
पढ़ई के बाद सब भुला जाथे जवान।
नन्द वर्मा,
नवागांव, नवागढ़,
मो. 9713208662