पागाकलगी के इतिहास म पहिली बार अतका कम रचना आय हे । रचनाकार मन के आभार जउन ‘आसो के जाड़‘ म अपन कलम चलाइन । कम रचना होय के कारण केवल पहिली स्थान भर दे जात हे । खुशी के बात हे दोहा जइसे प्रचलित छंद के संगे-संग अप्रचलित छंद रूचिरा म घला रचना आय हे । आयोजन विधा मुक्त होय के कारण कोनो विधा ला प्राथमिकता दे के कोनो कारण नई बनय । फेर ये खुशी के बात जरूर हे । शब्द के प्रयोग, गेयता, विषय के समावेश ल ध्यान म रखत ये आयोजन के पागा ला भाई सुखदेव सिंह अहिलेश्वर ‘अँजोर‘ के मुड़ म धरे जात हे -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें