शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

पागा कलगी -27//6//आशा देशमुख

विषय ...बसंत
विधा ,मात्रिक छंद मा गीत
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बसंत के राज मा
बइठे आमा डार कोयली बोलत हावय ,
मया प्रीत के गीत मधुर रस घोलत हावय |
पुरवाई संदेशा देवय गली गली ,
रितुराजा ला देखत खिलगे कली कली |
महर महर महकय सब फुलवा बगिया मा |
भँवरा रस बर आगू पाछू डोलत हावय |
नाचत हे मन बीतिस अब बिरहा के दिन ,
धरती हा सजगे जैसे सजथे दुलहिन |
महुआ परसा सरसों अरसी परछन बर |
अपन अपन गहना पेटी सब खोलत हावय |
सुख के चद्दर ताने हावय अमरैया ,
चंदन चँवर डुलावत हावय पुरवैया |
नवा नवा कपड़ा पहिरे रुख राई मन ,
फुदक फुदक के मन पंछी कछु फ़ोलत हावय |
सबो डहर खुशहाली के बाजा बाजे ,
परकिति के अंग अंग मा गहना साजे ,
रंग बिरंगा रूप धरे फगुवा किंजरे ,
हँसी ठिठोली प्रेम रंग ला मोलत हावय |
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आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
8 .2.2017 बुधवार

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