रविवार, 11 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//4//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

बहर--222 222 122 122
काफिया-- अव।
रदीफ-- गा।
मुक्तक(01)
भैया मन जय जय श्री गणेशा भजव गा।
जुरमिल के गणनायक गजानन कहव गा।।
दाई गौरी के लाल गणपति दुलारा,
नावे ला ओकर रोज सुत उठ भजव गा।
मुक्तक(02)
हे लम्बोदर महराज अरजी करव गा।
मनखे मन मा सद्भाव मनभर भरव गा।।
भाई-चारा के संग सबझन कमावय,
उंकर जांगर ला पोठ समरथ करव गा।
रचना:- सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

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