शनिवार, 3 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//1//देवन ध्रुव

मुक्तक 1
ऐहर जग मा पहली पूजा के अधिकारी हे।
दाई ऐकर गौरी, बाबू हा त्रिपुरारी हे।।
शोभा बरनत हावव मैहर तो गणनायक के।
वाहन ऐकर मूसक,काया हा अतिभारी हे।।
मुक्तक 2
मानय तोला सब झन,भगतन बर हितकारी हे।
ऐ जग के सब मनखे,तोरे बर बलिहारी हे।।
करथस मंगल सब बर,जनमानस तरईया तै।
किरपा के तै सागर,अधरे ले चिनहारी हे।।
-देवन ध्रुव

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