शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

पागा कलगी-18//10//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

विधा:--मुक्तक
बहर-222 222 222 221 221 212
काफिया-अरत
रदिफ-हवय
(०१)
रतिहा के रिमझिम चिमनी टिमटिम तोरे अगोरा करत हवय।
चमकत बिजली गरजत बादर अड़बड़ जीवरा हर डरत हवय।।
दादू नोनी सोगे बपुरी तोरे फोटु कन गोठियात हे,
जल्दी आजा रे बेटा तै अब तो आंसु आँखी भरत हवय।।
(०२)
तोरे संसो करकर चोला हर बाती बरोबर जरत हवय।
बिन पेंदी के लोटा मन सबझन छाती म कोदो दरत हवय।।
छानी परवा बछरू गरुवा रस्ता तोर देखत रथन हमन।
जल्दी आजा रे लाला तै अब तो आंसु आँखी ढरत हवय।।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

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