गुरुवार, 29 सितंबर 2016

पागा कलगी-18//4//जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"

मुक्तक(1)
मापनी-22 22 22 221 22
तन मन करिया हेवे,मांजेल पड़ही।
मन ल मया के पाग म,बांधेल पड़ही।
थूके - थूक म थोरे,चूरहि बरा जी,
महिनत करके हाँड़ी,राँधेल पड़ही।
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मुक्तक(2)
मापनी- 22 22 221 22
अब तो आघू,आयेल लगही।
मिल-जुल तोला,खायेल लगही।
छेल्ला घुमबे त , नई बने जी,
मिलके राज , चलायेल लगही।
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जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

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