शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

पागा कलगी -23 //9//चन्द्रप्रकाश साहू

वाह रे आतंकवाद
वाह रे आतंकवाद तोर काय अवकात.
कोलिया होके शेर ल ते दिखाये ऑख.
आंखी दिखाबे त आंखी तोर फूटही.
लगही गोली अउ तोर कन्हिया ह टूटही.
मान ज बात ल झन कर काकरो से लड़ई.
जांगर ह टूटही नइ मिलय मूते बर परई.
आगी म जल के होबे तै एक दिन राख.
कोलिया होके शेर ल ते दिखाये ऑख.
बारुद के ढेर म अब हमन तोला सुताबो.
कतना इतराथस ओला अब हमन देखाबो.
अब मत इतरा तोर मरे के पारी आगे हे.
शेर देख जैसे कोलिहिया ह खारे-खार भागे हे.
नइ राहय तोर रेहे बर जगा जाबे शमशान घाट.
कोलिया होके शेर ल ते दिखाये ऑख.
चन्द्रप्रकाश साहू
रायपुर (छ.ग.)
९६१७२४७५५०

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