प्रदत्त पंक्ति:-//वाह रे आतंकवाद//
वाह रे
आतंकवाद,
लांघ डरे मरजाद।
आतंकवाद,
लांघ डरे मरजाद।
मानवता के हत्या करके,कइसन फल तय पाबे।
अंधरा टमड़ के बता दिही,रौरव नरख म जाबे।
अंधरा टमड़ के बता दिही,रौरव नरख म जाबे।
मरन बाद
भी नि मिटही,
अन्तर्मन अवसाद।
भी नि मिटही,
अन्तर्मन अवसाद।
जस करनी तस भरनी हे मुहु म केरवस पोतागे।
चारो मुड़ा थुआ थुआ करे,नाक कान झोरागे।
चारो मुड़ा थुआ थुआ करे,नाक कान झोरागे।
मुहु के
भार पाय तभो,
भागत नइहे साद।
भार पाय तभो,
भागत नइहे साद।
अंचित करई सुहावय नही,देख तरुवा पिराथे।
जादा के अति करइया घला,भुईया ले सिराथे।
जादा के अति करइया घला,भुईया ले सिराथे।
भरभरा
के ढही जथे,
अंचितहा जयजाद।
के ढही जथे,
अंचितहा जयजाद।
नाहक करतहस अतियाचार,ढिलथस करकस बोली।
निरपराध मनखे के छाती,मारत फिरथस गोली।
निरपराध मनखे के छाती,मारत फिरथस गोली।
मुहु हे
जुच्छा सांप के,
मनुष डसे के बाद।
जुच्छा सांप के,
मनुष डसे के बाद।
रचना:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"
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