शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

पागा कलगी -23 //6//तोषण कुमार चुरेन्द्र

लुकाके करथस वार तै,छातीम धमक के बात निंही ।
वाह रे ! आतंकवादी तोर ,आघूम आय के औकात निंही ।।

बेंदरा बरोबर कुदत रहिथस, भरे कपट छल आदत तोर ।
आंखील जादा नंटेर झन, छितिहौ पानी मिरचा झोर ।

लोग लइका तोर का बिगाड़े, घेरी बेरी डरवात रथस ।
जात धरम के नांव मा, मनखे मनखे लड़वात रथस ।

चेत चढे निंही काबर तोला, कुकुर कस छुछुवात रथस ।
परथे चमेटा मोर भारत के, पुछी झर्रात लुकात रथस ।

देख सपना झन डरवाय के, रखके बंदूक खांद मा।
हुआँ हुआँ कहि कोलिहा कस, चिल्ला झन सेर के मांद मा ।।

हमर भारत बिंदिया हरे, काबर तोला कसमीर देबो ।
अतलंग जादा झनले बैरी, फांकी दू ठाढ़े चीर देबो ।।
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© ®
तोषण कुमार चुरेन्द्र
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़

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