लुकाके करथस वार तै,छातीम धमक के बात निंही ।
वाह रे ! आतंकवादी तोर ,आघूम आय के औकात निंही ।।
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बेंदरा बरोबर कुदत रहिथस, भरे कपट छल आदत तोर ।
आंखील जादा नंटेर झन, छितिहौ पानी मिरचा झोर ।
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लोग लइका तोर का बिगाड़े, घेरी बेरी डरवात रथस ।
जात धरम के नांव मा, मनखे मनखे लड़वात रथस ।
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चेत चढे निंही काबर तोला, कुकुर कस छुछुवात रथस ।
परथे चमेटा मोर भारत के, पुछी झर्रात लुकात रथस ।
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देख सपना झन डरवाय के, रखके बंदूक खांद मा।
हुआँ हुआँ कहि कोलिहा कस, चिल्ला झन सेर के मांद मा ।।
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हमर भारत बिंदिया हरे, काबर तोला कसमीर देबो ।
अतलंग जादा झनले बैरी, फांकी दू ठाढ़े चीर देबो ।।
वाह रे ! आतंकवादी तोर ,आघूम आय के औकात निंही ।।
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बेंदरा बरोबर कुदत रहिथस, भरे कपट छल आदत तोर ।
आंखील जादा नंटेर झन, छितिहौ पानी मिरचा झोर ।
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लोग लइका तोर का बिगाड़े, घेरी बेरी डरवात रथस ।
जात धरम के नांव मा, मनखे मनखे लड़वात रथस ।
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चेत चढे निंही काबर तोला, कुकुर कस छुछुवात रथस ।
परथे चमेटा मोर भारत के, पुछी झर्रात लुकात रथस ।
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देख सपना झन डरवाय के, रखके बंदूक खांद मा।
हुआँ हुआँ कहि कोलिहा कस, चिल्ला झन सेर के मांद मा ।।
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हमर भारत बिंदिया हरे, काबर तोला कसमीर देबो ।
अतलंग जादा झनले बैरी, फांकी दू ठाढ़े चीर देबो ।।
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© ®
तोषण कुमार चुरेन्द्र
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
© ®
तोषण कुमार चुरेन्द्र
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
सधन्यवाद भइया जी
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