शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

पागा कलगी -23//4//ज्ञानु'दास' मानिकपुरी

काबर मनखे हर मनखे बर दुश्मन हे।
काबर बिरथा करे मनखे जनम हे।
-भूलके दया मया के बोली ल।
हाथ म धरे हे बन्दूक गोली ल।
सुवारथ म डुबके करे अत्याचार।
दुनिया म मचे हवे हाहाकार।
मनखे के भेष म करे शैतानी करम हे। काबर...
-का फायदा हे तेनला बतादे।
का नफा हे तेनला देखादे।
आगी हर आगी ले नइ बुझय
कोन का बिगाड़े हे तेनला बतादे।
बता का बात के तोला भरम हे। काबर.....
-बिनती हे फेकदे हथियार तय।
हमरो पियार ल करले स्वीकार तय।
वरना एकदिन अपन करनी के फल पाबे रे।
फोकट म अपन परान ल गवाबे रे।
मिटाके रहिबो आंतक हमर कसम हे।काबर...
ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा

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