शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

पागा कलगी -23//7//तेरस कैवर्त्य (आँसू )

* वाह रे आतंकवाद *
देश दुनिया ल तय बैरी , नंगत काबर डरवाथस।
चिटकन पीरा नइ लागे , नइ रंच भर पछताथस।
तहूंच मनखे हावस फेर , मनखे ल काबर लुकाथस।
काय मिलथे कसई बनके , अउ करले शरम लाज।
वाह रे आतंकवाद !
बंदूक बारुद ल खेल बनाके , जगा -जगा बम फटोथस।
छाती ल कठवा पथरा बनाके , जनऊर बानी गुर्राथस।
कतेक निकता मनखे के , अब्बड़ लहू बोहाथस।
निरदोष परिवार के घर , गिराये करलई के गाज।
वाह रे आतंकवाद !
काकर बर तैं बूता ल करे , का तोर लइका के बन जाही।
गुनथस का तय जिंदा रबे , एक दिन पंछी तोर उड़ जाही।
फउजी के चपेटा म परबे , तोर तो कुटी - कुटी हो जाही।
गती नइ रहय मरे म तोर , खाही कुकुर कौआ तोर लाश।
वाह रे आतंकवाद !
रचना - तेरस कैवर्त्य (आँसू )
सोनाडुला , (बिलाईगढ़)
जिला - बलौदाबाजार - भा.पा. (छ. ग.) पिन - ४९३३३८
मोबाइल - 9165720460
Date - 15/12/2016

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