रविवार, 16 अक्तूबर 2016

पागा कलगी -19 //9//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

पागा कलगी -19 बर (गजल)
देख न हिंगलाजिन दाई
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देख न हिंगलाजिन दाई,
पाक ह पदोवत हे।
रातदिन हमर मेड़ो म,
गोला - बारी होवत हे।।
पाक के दुर्गम पहाड़ म,
ल्यारी मकराना के तीर।
बइठे दाई हिंगलाजिन,
भगत के भाग ल सिधोवत हे।।
श्री राम के बिगड़ी बनाय,
गोरख,नानक,मखान ल तारे।
गंगा कस हिंगला नदी,
तोर पाँव ल धोवत हे।।
दाई सती के मुड़ी गिरे ले,
बने नामी शक्ति पीठ।
मनाय बर तोला भगत मन,
चैत-कुंवार म जंवारा बोवत हे।।
भारत के जेन कान रिहिस,
तेन अलगाके कान अंइठत हे।
आतंकवाद ल अपनात हे,
दया-मया, ममता ल खोवत हे।।
कोटटरी रूप म हे दाई सती,
भोला बने भीमलोचन भैरव।
गजानंद बइठे तोर आघू म,
भक्ति रस ल मोंवत हे।।
पाक ल समझादे दाई,
तोर-मोर के भेद मिटादे दाई।
कलप-कलप के भारत महतारी,
रोजेच चार आँसू रोवत हे।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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