सोमवार, 31 अक्तूबर 2016

पागा कलगी -20//5//आचार्य तोषण

"मन के अंधियारा मिटाबो"
चल न ग भइय्या चल ओ दीदी ,सुमता के दीया जलाबो
देवारी तिहार के पावन परब म ,मन के अंधियारा मिटाबो

लाबोन दीया नवा करसा मढाबो, डेहरी हमर उजियार होही
लछमी दाई के किरपा बरसही, अन्न धन के भंडार बोही
दया मया अऊ भाईचारा के ,जूरमिल दीया जराबो
चल न ग भइय्या चल ओ दीदी ,सुमता के दीया जलाबो
देवारी तिहार के पावन परब म ,मन के अंधियारा मिटाबो

धनतेरस म तेरा दीया संन ,देव धनवंतरी मनाइके
नरक चउदस के यमराजा ल,सरधा ले मांथ नंवाइके
आमावस म लछमी दाई बर,दीया के अंजोर बगराबो
चल न ग भइय्या चल ओ दीदी ,सुमता के दीया जलाबो
देवारी तिहार के पावन परब म ,मन के अंधियारा मिटाबो

एक्कम के दिन गोवरधन ल, हांथ जोड़ दुनो मनालेबो
बबरा सोंहारी खीर भात संग,गउमाता ल भोग लगालेबो
भाईदूज म भाई बहिनी संग,दुआ आशीष मनाबो
चल न ग भइय्या चल ओ दीदी ,सुमता के दीया जलाबो
देवारी तिहार के पावन परब म ,मन के अंधियारा मिटाबो

आतंकवाद के छाए अंधियारा, मोर भारत के कोरा म
कब उजियारा मोर देश म आही ,जवान सीरावय अगोरा म
जाए के पहिली ए दुनिया ले आतंकवाद ल दूरिहा कूदाबो
चल न ग भइय्या चल ओ दीदी ,सुमता के दीया जलाबो
देवारी तिहार के पावन परब म ,मन के अंधियारा मिटाबो
©®
आचार्य तोषण, धनगांव, डौंडीलोहारा बालोद
छत्तीसगढ़ ४९१७७१

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