सोमवार, 24 अक्तूबर 2016

पागा कलगी -20//2//चोवा राम वर्मा "बादल "

मन में दिया बार_______
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कर लन अंजोर बने, मन में दिया बार ।
भाईचारा ,दया मया हे,जिनगी के सार ।
दूसर ल दुःख देके ,कहाँ सुख मिलथे
रथिया कुन कमल भला,कहाँ गा फुलथे
मतलाहा डबरा के पानी, कोन हर पीथे
निच्चट लबरा के जी,बानी बिरथा होथे ।
छल कपट झन बेंचन लगा के बजार ।
कर लन अंजोर बने , मन में दिया बार ।1।
ईरखा जाला के कर के सफाई
परेम के छुही मं कर के पोताई
चलौ नवा रिस्ता के कपड़ा सिलवाई
मीठ बोली के बाँटन बतासा अउ लाई
सत ईमान धरम मं सजा के घर दुवार ।
कर लन अंजोर बने,मन में दिया बार ।2।
चारी चुगरी के झन कचरा कुढ़वावय
हमर सेती ककरो दिल झन दुखावय
पारा परोसी सुख दुख मं काम आवय
सुनता सुमत मं घर मंदिर बन जावय
"बादल "मनावय रोज देवारी के तिहार ।
कर लन अंजोर बने , मन में दिया बार ।
भाईचारा दया मया हे,जिनगी के सार ।3।
रचना --चोवा राम वर्मा "बादल "
हथबंद

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