अकाल परगे ,
गिनती नई हे
कतना झन मरगे।
बिचारा किसान मन के
सबो चेत-बुध हरगे।
का ये सबो बदल पाही
नवां साल मा?
गिनती नई हे
कतना झन मरगे।
बिचारा किसान मन के
सबो चेत-बुध हरगे।
का ये सबो बदल पाही
नवां साल मा?
विकाश के रुप धरके
महंगाई डायन ह
घर-घर के
रंधनी खोली मा उतर गे।
कइसे झुठ मुठ कहवं
सबो के हालत सुधरगे।
का ये गरीबी भाग जही
नवां साल मा?
महंगाई डायन ह
घर-घर के
रंधनी खोली मा उतर गे।
कइसे झुठ मुठ कहवं
सबो के हालत सुधरगे।
का ये गरीबी भाग जही
नवां साल मा?
सपना आंखी के
आंखींच मा रहीगे।
अपने बोली भाखा संग
होवत रीहीस अनियाव।
सबो छत्तीसगढ़ीया मनखे
चुपेचाप सहीगे।
कभू कुछू कही पाही
नवा साल मा?
आंखींच मा रहीगे।
अपने बोली भाखा संग
होवत रीहीस अनियाव।
सबो छत्तीसगढ़ीया मनखे
चुपेचाप सहीगे।
कभू कुछू कही पाही
नवा साल मा?
गली-गली मा दारु के
दुकान खुलगे।
नसा के धून मा
नानेच-नान
लईका मन झूलगे।
सरकार ह
दारु के धनधा से
अउ कतका कमाही
नवां साल मा?
दुकान खुलगे।
नसा के धून मा
नानेच-नान
लईका मन झूलगे।
सरकार ह
दारु के धनधा से
अउ कतका कमाही
नवां साल मा?
बीते बछर मा
जम्मो खोटा सिकका चलगे।
सत के सिपाही मन
सरहद मा मरगे।
कब, कईसे शांति के
पूरवईया बोहाही
नवा साल मा?
कोनो-कोती, कोनो डाहर
का कुछू बदलही
नवां साल मा?
ओमप्रकाश चंदेल अवसर
पाटन दुर्ग "छत्तीसगढ़ "
जम्मो खोटा सिकका चलगे।
सत के सिपाही मन
सरहद मा मरगे।
कब, कईसे शांति के
पूरवईया बोहाही
नवा साल मा?
कोनो-कोती, कोनो डाहर
का कुछू बदलही
नवां साल मा?
ओमप्रकाश चंदेल अवसर
पाटन दुर्ग "छत्तीसगढ़ "
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