बुधवार, 6 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// बदलाव नवा साल मा-देवेन्द्र ध्रुव

छत्तीसगढ के पागा.. "कलगी"क्र.01 बर मिले रचना
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छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता बर रचना
विषय -बदलाव नवा साल मा.. रचनाकार-देवेन्द्र ध्रुव
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धान के कटोरा उन्ना होवत हे
धरती दाई के कोरा सुन्ना होवत हे
आज अन्नदाता मुडधर के रोवत हे
अपने हाथ अपन जान लेवत हे
फोकट समा जावत हे काल के गाल मा
अब तो सुधार होना चाही इकर हाल मा
बहुत जरुरी हे "बदलाव नवा साल मा...
का करबे किसनहा ला कोनो नई पुछय
कर्जा मा जीयय, कर्जा मा ओखर प्राण छुटय
अब हर योजना किसान के नाम होना चाही
टाल मटोल नही अब तो बस काम होना चाही
अब ककरो फसल झन बोहावय बाढ मा
अऊ कोन्हो झन मरय ऐ दारी अकाल मा
बहुत जरुरी हे "बदलाव नवा साल मा"......
सिघवापन के फायदा उठाथे दुसरा मन
भाई ले भाई ला लडाथे दुसरा मन
नई समझय अबडे मीठ आखिर कडहा होथे
सब ला अपन समझथे गवंईहां अडहा होथे
अब जागव झन फंसव कोनो जाल मा
दुश्मन झन होवय कामयाब अपन चाल मा...
बहुत जरुरी हे "बदलाव नवा साल मा "...
पता नही काबर सब संग दुरिहाये हौ
पता नही काकर बुध मा आये हौ
परिवार सुघ्घर पेड ऐला झन काटव
अपन अऊ पराया मा कोनो ला झन छांटव
जुरमिल के रहव जी घर ला झन बांटव
घर ला छोडे के बात झन लानव ख्याल मा..
बहुत जरुरी हे" बदलाव नवा साल मा"...
दुख परगे ता उदास झन बईठौ
जीत घलो मिलही हताश झन बईठौ
चुनौती दिही गा बेरा रही रही के
आघुं बढना हे सबो पीरा ला सहिके
सब मुश्किल के हल अऊ मुंहतोड जवाब
झन पडे रहव दुनियादारी के सवाल मा...
बहुत जरुरी हे"बदलाव नवा साल मा"...
जान लो परदेशिया ला राजा नई बनाना हे
दुसर के बात मान परबुधिया नई कहाना हे
सब ला उन्नति के नवा रद्दा बताना हे
अपन मेहनत ले तरक्की ला पाना हे
फेर महकही फुलवारी, सुख आही दुवारी
कोयली फेर गीत सुनाही बईठ आमा के डाल मा
बहुत जरुरी हे "बदलाव नवा साल मा"...
रचना
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देवेन्द्र कुमार ध्रुव (फुटहा करम)
बेलर (फिंगेश्वर )
जिला गरियाबंद
9753524905

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