शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1//बदलाव नवा साल मा-ओमप्रकाश चौहान

" बदलाव नवा साल मा "
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मनखे ल मनखे नई जानेन
बड़न के कहना कभु नई मानेन,
होगे जेन होगे अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
मोह माया के लफड़ा म पड़के
जग मुआ ल अईसे मताएंन ग
भाई ल बईरी जानके
कुछु अईसे घला बताएंन ग,
होगे जेन होगे अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
नशा के फांदा म पड़के
डउकी-लईका तक हम भुलाएंन ग
बेमतलब के चिहुर गली खोर म हम मताएंन ग,
होगे जेन होगे अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
दुसर के बड़ना म जर कुकड़के
अपन जिनगी म आगी लगाएंन ग
हम बेमतलब के का महुरा 'पी' आएंन ग,
होगे जेन होगे अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
चारी चुगरी करके
बड़ ऐखर ओखर घर उजाड़ेन ग
बेमतलब के रंज हम लगाएंन ग,
होगे जेन होगे ये अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
अब नवा डगर अउ नवा सरग बर
जुर मिल सबे हांथ बढ़ाव ग
ये जिनगी ल बने सुग्घर
अउ सुग्घराव ग,
होगे जेन होगे अज्ञानता के ओ अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
मनखे ल मनखे नई जानेन
बड़न के कहना ल नई मानेन ..................।
🌻 ओमप्रकाश चौहान 🌻
🌻बिलासपुर🌻

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