सोमवार, 11 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// बदलाव नवा साल मा-दिनेश देवागंन "दिव्य"

मुखड़ा ल 16,14 के मात्रा मा लिखेव हव अउ ऐकर अंतरा हा सार छंद मा लिखाय हे ! आप मन पढ़ के प्रतिक्रिया जरूर दिहू पहली बार छत्तीसगढ़ी भाषा मा लिखय हव ...!!!
नवा सुरुज हे नवा बिहनिया, जागव रे नवा साल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
खेती बारी करबो हरियर, हरियर घलो किसानी !
खार मा घलो फूल उगाबो, आज हमन ये ठानी !!
महानदी बन आही गंगा, चिर परबत अउ घाटी !
धान कटोरा फेर कहाई, छत्तीसगढ़ी माटी !!
मरय नही अब कोनो हलधर, कर्जा सूखा अकाल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
जुर मिल रहिबो संगी साथी, सबले हाथ मिलाबो !
भेदभाव ला छोड़ भुलाबो, सबला संग बढ़ाबो !!
खून खून के रिसता मा अब, झन होवय बटवारा !
रिसता नाता गुरतुर होही , नई सिनधु कस खारा !!
सरग बनाबो पावन भुईया, हावय जोन बदहाल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
निसा नही करबो गा संगी, किरिया जम्मो खाबो !
निसा नाश के जड़ हे भाई, सत ये बात बताबो !!
ठगबो काबर हम कोनो ला, घटिया बेईमानी !
मार भगाबो भ्रष्टाचारी , पिया पिया के पानी !!
मनखे मन मा जोश जगाबो, पारा गली चौपाल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
कोख मा नई बेटी मरही, मान बड़ाई पाही !
लता,सानिया,अउ आशा कस, दुनिया मा छा जाही !!
बेटी चंदा सूरुज बनही, बेटी बनही तारा !
बेटी हे अँगना के तुलसी, अउ गंगा के धारा !!
बहु ला बेटी समझव भाई, नई मारव ससुराल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
नवा सुरुज हे नवा बिहनिया, जागव रे नवा साल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
कवि दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
9827123316, 8109482552

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