बुधवार, 13 जनवरी 2016

पागा-कलगी- 1// हितेश तिवारी

"नवा बछर म आस ''
छोड़ के चल दिस रे भैईआ,पुराना पहर...
अऊ देखते देखत आगे
नवा बछर...
नवा बछर म करबो का-का प्रयास
आवऔ मै बतावत हव ,नवा बछर म आस
फ़सल ल लेके परेसान हे ईहा के किसान
अऊ हमला ले परेसान हे फौजि मितान
कुछ नै हो सकय,फेर मन मा हे द्रिड़ विस्वास
नवा बछर म आस
साल भर मेहनत के बाद
विद्याथी मन ला परिणाम के अगोरा हे
मिसावत हे धान पान,बनिहार के अगोरा हे
नवा साल म,पड़बो लिख बो आघू बड़बो,अउ छत्तिसगर्ही ल बचाये बर कर्बो प्रयास
नवा बछर म आस
जुर्बो मिल्बो अऊ ,साबित क्र्रबो,छत्तिसगरिहा के हित म लड़आई लड़बो
डर अऊ संसय से ऊपर उठ के जागे हे विश्वास
''नवा बछर म आस''
हितेश तिवारी
धरोहर साहित्य समाज
लोरमी जिला (मुगेली)

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