शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// रामेश्वर शांडिल्य

रचनाकार-रामेश्वर शांडिल्य
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बदलाव नवा साल मां
नवा साल म नवा रसता गढ़े ल परही।
जुन्ना साल के चलन छोड़ें ल परही।
असत अत्याचार अन्याय ल
मन ले हटाया जाए।
धीरज धर के ताकत ल
सत करम म लगाया जाए ।
नवा तरीका जीवन म जोडे ल परही।
जुन्ना साल के..........
धरम के रसता म रेंग के
आगू आगू बढ़ना होही।
करम कर के संकल्प के
पहार म चढ़ना होही ।
नवा साल म नवा सोचे ल परही।
जुन्ना साल के.............
गरीबन के सेवा जतन म
अपन हाथ बढ़ाये जावा ।
अंधवा खोरवा मन ल
अपन छाती म लगाये जावा ।
ऊंच नीच के भेदभाव तोड़े ल परही।
जुन्ना साल के चलन छोड़े ल परही।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

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