शनिवार, 4 मार्च 2017

पागा कलगी -28//3//जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया"

दोहा(लमसेना)
1
बेटा के जी आस में,बढ़ जाये परिवार।
बोहे लमसेना घलो,सास ससुर के भार।
2
बेटी के दाई ददा, सेवा बर लुलवाय।
लमसेना हर हाल के,एक आसरा ताय।
3
लमसेना के रीत ला, पुरखा हवे बनाय।
जेखर बेटा नइ रहय,वो लमसेना लाय।
4
छोटे रख परिवार ला,बेटा बेटी काय?
बेटी पा झन दुख मना,घर लमसेना आय।
5
बस बेटी भर के बिदा, हमर हरे का रीत?
कखरो जिनगी सुख बिना,जाये जी झन बीत।
6
बाबू पथरा लाद के,बेटी करे पराय।
उसने बेटा के ददा,लमसेना ल पठाय।
7
दाई बाबू झन छुटय, झन जाबे तैं भूल।
बनके लमसेना रबे,दूनो कुलबर फूल।
8
लमसेना बन बेटवा, बेटी के घर जाय।
करम करय घर जान के,जग में नाम कमाय।
9
बेटी बर हे दू ठिहा,मइके अउ ससुरार।
बेटी कस बेटा घलो,सबके बने अधार।
10
बेटी परघर जाय के,लेवय सबला जीत।
बेटा लमसेना बनय, बढ़े मया अउ मीत।
11
सेवा बर जाये भले,कखरो धन झन गने।
लमसेना लालच करे, नोहे एहा बने।
12
लमसेना ला लेय के, होवे कतको बात।
पइसा वाला पाय के,लालच मा हे जात।
13
जतका ठिन भेजा हवे,ततका ठिन हे गोठ।
बेटी कस सेवा बजा,नाम काम कर पोठ।
जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981442795

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