बुधवार, 22 मार्च 2017

पागा कलगी-29//11//अनिल कुमार पाली

विषय-होली हे
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रंग हे गुलाल हे
रंग हे गुलाल हे आगे फागुन के तिहार हे।
रंग म मोर रंग जा गोरी तोर बर मया अउ दुलार हे।
लाल-लाल रंगे गोरी तोर गाल हे।
दिखे राधा रानी कस तै तो कमाल हे।
रंग म अपन तै रंग ले मोला गोरी
आये हे सुग्घर फागुन के तिहार हे।
मीठ हे अउ रंग के बने मिठास हे।
तोर अंगना म मोर बंधे बढ़ आस हे।
नवा खवाई के घर म नवा-नवा स्वाद हे।
रंग के तिहार हे गोरी मया अउ दुलार हे।
लाईक खेले रंग अउ बुढ़वा दिखे जवान हे।
होली के तिहार हे माते रंग अउ गुलाल हे।
सब संगवारी मिल के मनात होली के तिहार हे।
रंग म तै आ रंग जा मोर ।
आये होली फागुन के तिहार हे।
कविता रचना:-
अनिल कुमार पाली तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़
आईटीआई मगरलोड धमतरी।

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