गरमी के छुट्टी मा जाबो ममा गाँव...
रोज गिन गिन के बेरा ला मैहर पहांथव,
मन होगे हे अधिरहा,बेरा ले देके बिताथव,
गुनथो ऐ परिक्छा ला होवन तो दे एक घांव,
गरमी के छुट्टी मा हमन जाबो ममा गाँव....
मन होगे हे अधिरहा,बेरा ले देके बिताथव,
गुनथो ऐ परिक्छा ला होवन तो दे एक घांव,
गरमी के छुट्टी मा हमन जाबो ममा गाँव....
आहूँ केहे ममा हा हमन ला लेगे बर,
अपन बहिनी अऊ दमांद ला देखे बर,
घेरी बेरी आरो पाके खोर कोती जांव,
जाना हे गाँव कहिके अब्बड़ मटमटांव....
गरमी के छुट्टी...
अपन बहिनी अऊ दमांद ला देखे बर,
घेरी बेरी आरो पाके खोर कोती जांव,
जाना हे गाँव कहिके अब्बड़ मटमटांव....
गरमी के छुट्टी...
सबो झिन खुस रही,हमनला आही कहिके,
हांसी ठिठोली करही,भारी गदबदाही कहिके,
आवत हमनला जान,सबो हमरआरो लिही,
छानी मा बइठे कागा,जब करही काँव काँव..
गरमी के छुट्टी...
हांसी ठिठोली करही,भारी गदबदाही कहिके,
आवत हमनला जान,सबो हमरआरो लिही,
छानी मा बइठे कागा,जब करही काँव काँव..
गरमी के छुट्टी...
ममादाई बइठे होही हमर अगोरा मा,
नाना किस्सा सुनाही बईठार कोरा मा,
मौसी हा पुचकारही,ममा हा दुलारही,
अऊ मामी हा पानी देके,परही हमर पाँव...
गरमी के छुट्टी ....
नाना किस्सा सुनाही बईठार कोरा मा,
मौसी हा पुचकारही,ममा हा दुलारही,
अऊ मामी हा पानी देके,परही हमर पाँव...
गरमी के छुट्टी ....
आमा डार मा,कोयली कुक सुनावत होही,
फरगे चार,पाके तेन्दू सबो खावत होही,
बर मा डंडा पचरंगा खेलत,झुलबो लाहा मा,
बइठ सुरताये बर हे,सुघ्घर नीम के छांव...
गरमी के छुट्टी ...
फरगे चार,पाके तेन्दू सबो खावत होही,
बर मा डंडा पचरंगा खेलत,झुलबो लाहा मा,
बइठ सुरताये बर हे,सुघ्घर नीम के छांव...
गरमी के छुट्टी ...
रंग रंग के जीनिस ममादाई घर चुरथे,
खंगय नही कभू सबो झन ला पुरथे,
सबो मोला अपन अपन हाथ मा खवाये,
मन कथे,काला खाव अऊ काला मे बचाव..
गरमी के छुट्टी...
खंगय नही कभू सबो झन ला पुरथे,
सबो मोला अपन अपन हाथ मा खवाये,
मन कथे,काला खाव अऊ काला मे बचाव..
गरमी के छुट्टी...
मोर बर नवा कुरता पैंठ लेवाहू,
अऊ मोर बहिनी बर नवा सांटी,
खेलबो दिनभर नंगत भंवरा अऊ बांटी,
चलही घेरी बेरी तिरी पासा के दांव...
गरमी के छुट्टी...
अऊ मोर बहिनी बर नवा सांटी,
खेलबो दिनभर नंगत भंवरा अऊ बांटी,
चलही घेरी बेरी तिरी पासा के दांव...
गरमी के छुट्टी...
बाढ़हे गरमी ताहन तरिया मा कूदना,
रतिहा खटिया जठाये दुवार मा सूतना,
कतका मजा आथे तेला अऊ का बताव,
ममा गाँव के सुरता ला मे कभू नई भुलाव...
गरमी के छुट्टी...
रतिहा खटिया जठाये दुवार मा सूतना,
कतका मजा आथे तेला अऊ का बताव,
ममा गाँव के सुरता ला मे कभू नई भुलाव...
गरमी के छुट्टी...
लहुटे के बेरा मोर आंसू हा डबडबाही,
तीर मा बला के ममादाई,छाती ले लगाही,
फेर आबे बेटा कहिके,ओ पइसा धराही,
घर आवत आवत मे सबो ला सोरियाव...
गरमी के छुट्टी....
तीर मा बला के ममादाई,छाती ले लगाही,
फेर आबे बेटा कहिके,ओ पइसा धराही,
घर आवत आवत मे सबो ला सोरियाव...
गरमी के छुट्टी....
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद (छ ग)
देवेन्द्र कुमार ध्रुव
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद (छ ग)
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