शनिवार, 4 मार्च 2017

पागा कलगी -28//1//असकरन दास जोगी "अतनु"*

*लमसेना*
बबा गो डोकरी दाई ओ, मोला पठो दव लमसेना !
ददा गो दाई ओ, मैं जाहूँ लमसेना !!
होवइया ससुर सास, बड़ा हे पइसा वाला !
नानमुन घर नही, लेंट्टर हे तीन तल्ला !!
लोख्खन के ओकर बेटी, हावय एेके झन !
जबले देखे हवँ, आगे हावय मोरो मन !!
सब अढ़वा ले करहवँ, अउ थोपहवँ भले छेना !
ददा गो दाई ओ, मैं जाहूँ लमसेना !!......(१)
दस इक्कड़ खेत हे, पाहूँ मैं अकेल्ला !
जाँगर पेर नाँगर जोंतहूँ, उहाँ नइ राहवँ निठल्ला !!
सुंदरी हावय होवइया बाई, मन लागे रइही !
ससुरार मँ रइहूँ, भले मोला मेंड़वा कइहीं !!
मान जा बबा गो, अब तो भेज दे ना !
ददा गो दाई ओ, मैं जाहूँ लमसेना !!....(२)
लमसेना ला मिलहऊर, घलो कइथैं !
सब जात बर, ससुरार के आसरा मँ रइथैं !!
गोसईन के सबे, नखरा ला उठाथे !
भात साग रंधना, अउ साड़ी घलो ला धोवाथे !!
सब टेमटेमा ल सइहूँ, डोकरी दाई मान ले ना !
ददा गो दाई ओ, मैं जाहूँ लमसेना !!.....(३)
कोठा मँ भरे हे गरुआ, दूध दही के खान हे !
कोठी डोली बोरा, अलमल भरे धान हे !!
अँगना मँ तुलसी, चँवरा मँ गोंदा !
सब बात ऊँकर सुनहूं, बनके रइहूँ कोंदा !!
मोला तुमन जावन दव, मोर अऊ भाई इहाँ तो हे ना !
ददा गो दाई ओ, मैं जाहूँ लमसेना !!.....(४)
ससुर सास के सेवा, करहवँ दिन रात !
गोसईन सो मया, अउ करहवँ मिठ बात !!
कथरी ओंढ़ के, मैं तो घीवँ खाहवँ !
लमसेना जाये ले, धन्य हो जाहवँ !!
मान जातेव ददा-दाई, मोला अब पठो देना !
ददा गो दाई ओ, मैं जाहूँ लमसेना !!........(५)
*असकरन दास जोगी "अतनु"*
ग्राम-डोंड़की,पोस्ट-बिल्हा,तह-बिलासपुर ,छत्तीसगढ़
मो. 8120477077

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