शुक्रवार, 27 मई 2016

पागा कलगी-10//सुनील साहू"निर्मोही"

"तहुँ कुछु सीख़ ले भईया"
लईका मन के सबै मितान रथे,
अउ उज्जर ऊंखर ईमान रथे,
हाथ दया के देख नान्हे नान्हे।
तभे कहे लईका रूप भगवान रथे,
देख के सेवा मोर नोनी के ग....
अचरज म परे हे सबै देखईया।
तव तहुँ कुछु सीख़ ले भईया।।-2
---------------------
धन दौलत के करथन हम गुमान,
अउ बन जाथन हम बड़े सियान,
बड़ भारी परवचन सुनाथन??
अउ रहिथन दिनभर हम हलकान।
फेर दया धरम के काम करबो.....
देखे हन हम कतका कहईया।
तव तहुँ कुछु सीख़ ले भईया।।-2
---------------------
मनखे मनखे अपन म भुलाथे,
नोनी हमर धियान करा....थे,
बड़ सुघ्घर लगथे सेवा कर के।
आज लईका मन हमला सीखाथे,
कर दया तहुँ.....ले पीरा उधार....
फेर बिपत म बनहि तोर खेवईँया।
तव तहुँ कुछु सीख़ ले भईया।।
तव तहुँ कुछु सीख़ ले भईया।।।
सुनील साहू"निर्मोही"
ग्राम-सेलर
जिला-बिलासपुर
मो.8085470039

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें