$मानवता के सन्देश$
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धन्य-धन्य हे बेटी तोर मया,
दीन-दुःखी बर तोर दया।
अथाह परेम उमड़े दीन-दुःखी बर
दया मया छलकत हे तोर जिया।
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धन्य-धन्य हे बेटी तोर मया,
दीन-दुःखी बर तोर दया।
अथाह परेम उमड़े दीन-दुःखी बर
दया मया छलकत हे तोर जिया।
मोर फ़ुटहा करम म अंजोर होंगे न,
गांव-गांव म बेटी तोर शोर होंगे न।
मोला पेट भर खवाके तय बेटी,
तय मोर दाई लइका मय तोर होगेव न।
गांव-गांव म बेटी तोर शोर होंगे न।
मोला पेट भर खवाके तय बेटी,
तय मोर दाई लइका मय तोर होगेव न।
देवत हे आज मानवता के सन्देश,
रहव चाहे कोनो देश-परदेश।
"जन सेवा ही प्रभु सेवा है"
मन में रहय झन झूठ,कपट,द्वैष।
रहव चाहे कोनो देश-परदेश।
"जन सेवा ही प्रभु सेवा है"
मन में रहय झन झूठ,कपट,द्वैष।
वाह रे किस्मत अउ तोर खेल,
बेटा,बाप ल निकाले घरले ढकेल।
आज बेटा बर दाई-ददा गरु होंगे,
सिखौना बात उखर करु होंगे।
बेटा,बाप ल निकाले घरले ढकेल।
आज बेटा बर दाई-ददा गरु होंगे,
सिखौना बात उखर करु होंगे।
कहा गय समाजसेवी दान करइया मन,
बड़े बड़े बात करइया नेता भंडारा करइया मन।
"परहित सरिस धरम नही भाई" उपदेश करइया मन।
मुँह के बड़ लबार होथे करम धरम करइया मन।
बड़े बड़े बात करइया नेता भंडारा करइया मन।
"परहित सरिस धरम नही भाई" उपदेश करइया मन।
मुँह के बड़ लबार होथे करम धरम करइया मन।
दुनिया आथे दुनिया जाथे देखत खड़े तमाशा ल।
दया मया बिन जिनगी बिरथा हे कब समझहूँ ये परिभाषा ल।
दया मया बिन जिनगी बिरथा हे कब समझहूँ ये परिभाषा ल।
बेटी,कखरो बेटी,कखरो पतनी,कखरो महतारी बन जथे।
दुःख सुख के समझइया दुलौरिन संग संगवारी बन जथे।
दुःख सुख के समझइया दुलौरिन संग संगवारी बन जथे।
आओ मिलके ये संकल्प करन,
दीन दुःखी मनखे के करबो जतन।
मानव जीवन के सार इही हे"ज्ञानु"
भूखे प्यासे ल दाना पानी अउ बेटी के जतन।..... अउ बेटी के जतन।
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आपके छोटे भाई
ज्ञानु मानिकपुरी"दास"
चंदेनी(कवर्धा)
दीन दुःखी मनखे के करबो जतन।
मानव जीवन के सार इही हे"ज्ञानु"
भूखे प्यासे ल दाना पानी अउ बेटी के जतन।..... अउ बेटी के जतन।
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आपके छोटे भाई
ज्ञानु मानिकपुरी"दास"
चंदेनी(कवर्धा)
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