गुरुवार, 19 मई 2016

पागा कलगी-10 //आचार्य_तोषण‬

॥मानवता॥
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कहत हे समय आज के
झन रो सबला हंसाबे तै
मानवता हे धरम करम तोर
मानवता के गीत गाबे तै
फइले दुनिया म नफरत
नदी प्रेम के बोहाबे तै
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दीन दुखिया के सेवा में
अपन करतब निभाबे तै
दीन दुखिया मनखे के
जतन करे लाभ उठाबे तै
खंचवा पाट भेदभाव के
सबला गला लगाबे तै
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पाप कपट ले मुंह ल फेरे
पुण्य के लाभ उठाबै तै
पियासे बर पानी बन जा
भूखे ल खाना खिलाबे तै
गरीब के दुख पीरा आघू
दुख ल अपन भुलाबे तै
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हम सब भाई भाई सफ्फे
झन कोई ल ठुकराबे तै
बगिया सबे महके सबरदिन
बन प्यार फूल मुसकाबे तै
मन सबके खिलखिला उठै
भाईचारा के मेल बढाबे तै
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असहाय के सहारा बन जा
आशीष भगवान के पाबे तै
मानवता हे सार जगत में
मानवता ही लेके जाबे तै
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‪#‎आचार्य_तोषण‬
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद, छत्तीसगढ़
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