सोमवार, 30 मई 2016

पागा कलगी-10 बर//लक्ष्मी नारायण लहरे , साहिल

मनिखे मन के हिरदे म सोग नइये .....
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मंदिर मस्जिद के रसदा म 
बैठे हे घर के सियान
रोवत हे ओ हर मने मन
आंखी के आंसू सुखा गेहे
अपन नाती बेटा के करत हे सुरता
घर के दरद ल हिरदे म बसाये हे
रसदा रेगैया मन ल निहारत हे
कोनो एक रुपया देवत हे त हाथ जोड़ के सिर झुकावत हे
अपन दरद छुपाके जीयत हावे
कोनो कभू जेवन करा देथे त
आंखी ल आंसू टपकत हावे
जिनगी के दरद ल कुलेचुप सहत हे
मंदिर मस्जिद के रसदा म
बैठे हे घर के सियान
रोवत हे ओ हर मने मन
मनिखे मन के हिरदे म सोग नइये
अपन दरद छुपाके जीयत हावे
कोनो कभू जेवन करा देथे त
आंखी ल आंसू टपकत हावे 


० लक्ष्मी नारायण लहरे , साहिल,
युवा साहित्यकार पत्रकार कोसीर रायगढ़

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